फूल से खुशबू चूडाकर
भोरों ने फैलाया नभ में
जैसे खुशबू फैलती हैं
हवा के झोंके के सहारे
वैसे ही अच्छाई अपनी
छाप पीछे छोडती हैं
सौ बुड़ाई हारती हैं
एक सच्ची जीत से
सच का जो दर्पण दिखा दे
राह भटको को दिखा दे
फूलो से खुशबू चूडाकर
ज़िन्दगी अपनी सजा ले
आंधी की रफ़्तार को भी
थाम ले विश्वास से
हर किसी को ज़िन्दगी के
मायने समझा सके
दिल से दिल को जोड़ने की
हर कला अपना सके
गम के दामन में ख़ुशी के
फूल जो बरसा सके!
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