हरा रंग हैं हरी हमारी
धरती की अंगड़ाई
केसरिया बल भरनेवाला
सादा हैं सच्चाई
केसरिया अब द्वार खड़ा हैं
जीवन नया बदलने को
फिर कब तक हम बाट देखते
जाती बंधन के बीच फंसे
आज़ादी के लिए तरसते
अपना भविष्य दूसरों के हाथ सौंप कर
खूदको अपराधी कहलाते
अपने ही काम के ख़ातिर
बख्शीश बाँट कर अपराध को
खुद ही हवा देते रहेंगे!
हरा रंग हैं हरी हमारी
धरती की अंगड़ाई
केसरिया बल भरनेवाला
सादा हैं सच्चाई
लेकिन अब नया सूर्योदय होगा
कीचड़ में भी कमल खिलेगा
मन से सारे मैल धुलेंगे
कमल की ही तरह
हमारी धरती को खिलना होगा
मोदी की अगुवाई में
देश को बदलना ही होगा
हर ओर ख़ुशियों की लहर होगी
जात-पात के बंधन से मुक्त
हमारी ये धरती होगी
राम-राम के जयघोष से
गूंज उठेगी ये धरती
विश्व गुरु बनने के लिए
हमने कदम बढ़ा दी हैं
अब मंज़िल पर पहुंच के ही दम लेंगे
हम भारत माता की संतान हैं
अपनी धरती को हरा-भरा
और माहौल को केसरिया बनाके ही दम लेंगे!!
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