वाह रे भाई
कैसे दिन हैं आए
गधे भी आज
वी.आई.पी जीवन में
अपनी जगह हैं बनाई
कोई पीछे रहना नहीं चाहता
गधे के नाम से
दिन की शुरुआत होती
तो शाम भी उसी के चर्चे से
गली का नुक्कड़ हो
या चुनावी जन सभा
हर तरफ गधा ही गधा हैं
पब्लिक हो या नेता
चर्चा ही चर्चा हैं
हम इंसान ने की कैसी
शामत है आई
गधो के बराबार भी
हमें भाव नहीं मिलता
टीवी कि टी.आर.पी भी
आज गधो को मिल रही हैं
हम तो बस उसके
गीत गाने में
अपना दिन बिता रहे हैं
ज़िन्दगी हो तो बस गधो सी हो
जिसके कायल
हमारे प्रधानमंत्री भी हैं
अपनी भी कोई ज़िन्दगी हैं
बस जिए जा रहे हैं
कोई चर्चा भी करता हैं
तो बस भीड़ का हिस्सा हैं
काश गधो कि तरह
अपना भी भाग्य होता हैं
रातों-रात सितारे बन जाते
वाह रे गधा
क्या किस्मत हैं पायी?!!!!
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