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अयोध्या धाम

राम आएंगे अयोध्या धाम आएंगे  राम आएंगे तो खुशियां मनाएंगे  फूल माला से मैं घर को सजाऊंगी  रंगोली बना के मैं देहरी सजाऊंगी  दीपमाला बनके खुद ...

गुरुवार, 29 अप्रैल 2021

जीवन की डूबती सांसे

जीवन कितनी ठोकर मारे
फिर भी हमको चलना होगा
चाहे बाधाएं कितनी आये 

छाये प्रलय की घोर  घटा पर 
सांस थामकर चलना होगा 

जीवन के हर कड़वे घूंट को 
हृदय थामकर पीना होगा 

घोर प्रलय की इस बेला को 
ह्रदय थामकर सहना होगा 

हर ओर मची इस क्रंदन को 
भर नयन नीर में बहना होगा 

माँ के ममता के आँचल को भी 
इस करुण पलों को सहना होगा 

घर टूटे कितने बिखर गए 
कितने अपनों से बिछड़ गए 

है आस अभी बांकी अब तो 
हे दयानिधि कुछ कृपा करो 

हम सांस थामकर बैठे हैं 
इसमें अब बाधा और न दो 

है बहुत हुआ अब और नहीं 
जीवन धारा निर्बाध करो 

हे प्रभु आप हो देख रहे 
तो जीवन नैया पार करो

सब ताक रहे हैं आस प्रभु 
अब और नहीं तुम मौन धरो।   

बुधवार, 28 अप्रैल 2021

अपशब्द

शब्द गढ़कर तो देखो
मुश्किल आएगी जरूर

अपशब्द बड़ा सरल होता है 
अपनेआप मुँह से निकल जाता है 

शब्द चंचल शब्द निर्मल होता है 
शब्द कोमल होता है 

शब्द की सीमा होती है 
शब्द की मर्यादा होती है 

पर अपशब्द तो हमेशा से सीमाहीन
 दिशाहीन और मर्यादाहीन रहा है 

अपशब्द की खातिर रिश्ते 
हरदम टूटा करते हैं 

शब्दों के कुछ मधुर तर्क से 
टूटे रिश्ते जुड़ जाते हैं 

अपशब्दों को छोड़ हे मानुष 
शब्दों की मर्यादा जानों 

शब्द ख़ुशी है शब्द प्रेम है 
शब्द हमारी अभिब्यक्ति।




गुरुवार, 1 अप्रैल 2021

अपयश

यश की आशा करते - करते
कब अपयश मिल जाता है

खुशियाँ सबको बाँट-बाँट कर 
खुद का नयन भिगोता है 

मीठी बोली बोल-बोल कर 
सबके ताने पाता है 

सबको अपना कहते-कहते 
बैर सभी का पाता है 

कलयुग की यह दशा देखकर 
हमको रोना आता है 

ठगने का जो काम है करता 
सबका प्यारा होता है 

पर सच्ची बातों से परिचय 
सबका जो करवाता है 

दूर अकेले कालखंड में 
खड़ा सदा रह जाता है.