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बुधवार, 28 अप्रैल 2021

अपशब्द

शब्द गढ़कर तो देखो
मुश्किल आएगी जरूर

अपशब्द बड़ा सरल होता है 
अपनेआप मुँह से निकल जाता है 

शब्द चंचल शब्द निर्मल होता है 
शब्द कोमल होता है 

शब्द की सीमा होती है 
शब्द की मर्यादा होती है 

पर अपशब्द तो हमेशा से सीमाहीन
 दिशाहीन और मर्यादाहीन रहा है 

अपशब्द की खातिर रिश्ते 
हरदम टूटा करते हैं 

शब्दों के कुछ मधुर तर्क से 
टूटे रिश्ते जुड़ जाते हैं 

अपशब्दों को छोड़ हे मानुष 
शब्दों की मर्यादा जानों 

शब्द ख़ुशी है शब्द प्रेम है 
शब्द हमारी अभिब्यक्ति।




10 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर रचना शब्दों की मर्यादा के सौंदर्य को रेखांकित करती हुई। बधाई और आभार!!!!

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  2. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 29 -04-2021 को चर्चा – 4,051 में दिया गया है।
    आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
    धन्यवाद सहित
    दिलबागसिंह विर्क

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  3. शब्द ही व्यक्तित्व के परिचायक हैं।

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  4. तोल मोल कर बोलना, शब्दों को गढ़कर बोलना कठिन तो होता है पर ऐसा करने से चीज़ें सँवरती हैं, बनती हैं, बिगड़ती नहीं

    सुन्दर लेखन

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  5. बहुत सार्थक । शब्द दवा भी है और कटार भी।

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