यह ब्लॉग खोजें

Translate

विशिष्ट पोस्ट

अयोध्या धाम

राम आएंगे अयोध्या धाम आएंगे  राम आएंगे तो खुशियां मनाएंगे  फूल माला से मैं घर को सजाऊंगी  रंगोली बना के मैं देहरी सजाऊंगी  दीपमाला बनके खुद ...

शुक्रवार, 1 अक्तूबर 2021

वतन

 है तुम्हारे हवाले वतन साथियों 

कर गया कोई हमें नामजद साथियों 

सांस् अटकी यहां प्रेम से साथियों 

कर हवाले तुम्हारे  वतन साथियों 

वक़्त मुश्किल कटा हाथ सबका छुटा 

हो गए अजनबी हम तो अब साथियों 

कर चले हम फिदा जानतन साथियों 

अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों 

वतन की शान बनाए रखना 

मिटना पड़े तो मिटों साथियों 

देश झुकने न देना कभी साथियों 

देश मिटने न देना कभी साथियों 

खून से सींच कर जो आजादी मिली 

मान  उसका हमेशा करों साथियों 

अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों 

कर चले हम फिदा जानतन साथियों.


गुरुवार, 26 अगस्त 2021

राखी

आया राखी का त्योहार
गली-गली में खुली दुकाने
सज गई सब पर रेशमी राखी 
रन-बिरंगी प्यारी-प्यारी 
मन को मोह रही है राखी

आया राखी का त्योहार
बहना बोली भैया आओ 
राखी का त्योहार मनाये
मिल-जुल कर हम ख़ुशी-ख़ुशी 
सबका मुहं मिठा करवाए 

आया राखी का त्योहार
बहने सजी-धजी बैठी हैं 
राह देखती भाई का 
थाल सजा कर रखा है
रंग-बिरंगी राखी से.     


शुक्रवार, 20 अगस्त 2021

जख्म

जख्म इतने दिए जिन्दगी ने
हम गिन ना सके बंदगी में
हम झुके थे किसी की ख़ुशी में 
पर गम साथ लेके उसके हिस्से से 
ना जाने कब आगे को चल दिए 
मुड़कर कभी देखा नहीं 
जख्म गिनना सिखा नहीं 

रह लंबी है अपनी 
सफ़र मुश्किलों से भरा 
गर जख्म गिनने लगे 
वक़्त काटना मुश्किल हो जाएगा 

जख्म शोला बना जख्म शबनम बना 
जख्म के ताने-बाने से जीवन बना 
जख्म खाए है कितने 
खुद के पैरों पर चलने की खातिर

गिरते -गिरते चलना सीखा 
गिर-गिर कर फिर उठना सीखा 
फिर कुछ आगे बढ़ना सीखा 
लक्ष्य की राह पर बढ़ना सीखा 

सूख-दुःख का मोल समझना सीखा 
गम और खुशियों को जीना सीखा 
जख्म ने जीवन को समझाया 
जीवन का हर मंत्र सिखाया.      

बुधवार, 18 अगस्त 2021

एक दिन

एक दिन मुझे साईं बाबा मिले
बुलाया मुझे साथ चल दो मेरे
राह होगी कठीन पर गिरोगे नहीं 

मैं वही कृष्ण हूँ मैं वही राम हूँ 
मंदिरों में जिसे ढूंढते हो सदा 
मैं तुम्हारे ह्रदय में ही बैठा सदा 

याद करते रहो कर्म करते रहो 
मैं सदा साथ हूँ तुम कभी ना डरो 
हो मुश्किल घड़ी और कठिन हो डगर 
याद करते हुए काट लेना सदा 

पार जाओगे तुम जीत पाओगे तुम 
ह्रदय को  जो मंदिर बनाओगे  तुम
मैं तुम्हारा हूँ और तुम मेरे अंश हो 
तुम हो ब्रम्हांड में मैं हूँ उससे परे. 

शनिवार, 14 अगस्त 2021

सावन की आहाट

वो मेरा सोलह सावन
वो मेरा प्यारा दामन
वो मीठी - मीठी यादें 

वो जीवन की सच्चाई 
कुछ कड़वी कुछ खट्टी
पर है वो कितनी सच्ची 

वो हम दोनों की चाहत 
वो अपनेपन  की आहट 
जो हमको देती राहत 

है बीते कितने सावन 
पर फिर भी ऐसा लगता 
ये  पहला मेरा सावन

हो दुनियाँ भर की खुशियाँ 
तेरे - मेरे दामन में 
तुम यूं ही हंसते रहना 
जीवन की हर राहों में.   

गुरुवार, 12 अगस्त 2021

मायूसी

रिश्तों में भी कुछ नए रंग भरने लगे हैं
बर्फ की परतें  भी पानी बन पिघलने लगी है

जीवन रेत  बन मुट्ठियों से निकलने लगा है 
खुशियां आसमान में बादल सा खोने लगी है 

चाँदनी रात भी अब कुछ-कुछ डराने लगी है
दिन के उजाले में भी अँधेरा नज़र आने लगा है 

शादी के मंडप में भी सूनापन छाने लगा है 
दावत पर भी भी डर का ही साया है 

आजकल बचपन भी कितना खामोश रहने लगा है 
बागों में खेलते बच्चे कैदियों सा खिड़की से झांकते नज़र आने लगे हैं 

हर तरफ़ खौफ़ की आहट  है 
दिल में मायूसी और नजरों में घबराहट है 

खुद कि परछाई भी खुद को डराने लगी है 
जाने कब सवेरा आएगा 

दिन को खिलखिलाती धुप और 
रातों को चाँदनी सुकून देकर जाएगी.  

रविवार, 8 अगस्त 2021

राम

राम हमारे राम तुम्हारे
राम है सबके पालन हारे
राम सभ्याता राम संस्कृति 
राम है जीवन का पर्याय

राम हमारे राम तुम्हारे
राम है सबके पालन हारे
सत्य राम है राम सत्य है 
राम है शांति का पर्याय 

राम हमारे राम तुम्हारे
राम है सबके पालन हारे
राम त्याग है राम तपोवन 
राम सत्य का दूसरा नाम 

राम हमारे राम तुम्हारे
राम है सबके पालन हारे
राम हमारे गूढ़ तत्व हैं 
राम बसे हैं अंतर्मन में 

राम हमारी ह्रदय गति में 
धर्म नहीं जीवन सिखलाते 
सत्य - अहिंसा प्रेम भाव का 
सबको सुन्दर पाठ पढ़ाते.   


मंगलवार, 3 अगस्त 2021

मौत से आलिंगन

जिंदगी के भागदौड़ में
कभी सपना तो कभी हक़ीकत की चाह में
कभी समतल तो कभी पथरीली राह में 
चल रहे थे अकेले 
कुछ अजनबियों के साथ में 

परिवार लम्बा-चौड़ा था हमारा 
पर भीड़ में हमेशा मैं  अकेला  ही खड़ा था 
प्यार सबको था हमसे पर जब भी  हमारी बारी आई
नफ़रत ही हिस्से में हरबार मेरे आई 

एक दिन अचानक मौत से सामना हो गया हमारा 
मौत ने पुकारा लेलो आलिंगन हमारा 
मिल साथ-साथ चलेंगे 
न तुम अकेले रहोगे और न मैं अकेला रहूँगा 

हमने भी मौका देख के तपाक से पूछ लिया 
भाई मेरी छोड़ो तुम कैसे हो अकेले 
ये मुझको जरा समझाना 
तुम्हारी तांडव ने तो आजकल सबको है डराया 

भाई मेरे तुम भी हो कितने भोले-भाले 
तुम जिन्दगी मैं मौत हममे फर्क बस है इतना 
वर्ना तुम भी हो अकेले और मैं भी हूँ अकेला 
तुम यहाँ रो रहे हो और मैं वहाँ रो रहा हूँ .
  

शनिवार, 31 जुलाई 2021

रिश्वत

गया जमाना बाबू साहब चाय पानी खाने का
बाबू बनकर खाई मलाई अब ताने  से काटो दिन 

कुर्सी पर बैठे बाबू की डरकर सब करते हैं मान 
पर जैसे ही छुटी कुर्सी अपना मोल समझ में आया 

कोई न करता दुआ सलाम मूंह फेर सब आगे बढ़ते 
बाबूजी कुर्सी की ताकत का जो करते सही प्रयोग 

कदम-कदम पर हर आँखों में दुआ की ताकत होती साथ 
जहां भी जाते आप कभी भी ख़ुशी से स्वागत होता उनका 

ह्रदय गर्व से फूला समाता झोली खुशियों से भर जाती 
धन थोड़ा होता तो क्या मन का चैन सुकून तो होता 

रिश्वत लेना रिश्वत देना घोर पाप है दोनों काम 
सारी हो हल्ला के बाद मन को चाहिए चैन सुकून 

मोती  खोकर पैसा पाया पैसे  से बर्बादी लाया 
अब रोने से कुछ नहीं होगा दूर कहीं छुटी वह राह 

हिम्मत रखकर जिसने चुनी सच्चाई की राह 
धीमे-धीमे सही कदम पर आगे बढ़ते हैं वो लोग 

थोड़ा धीरज धरना सिखों वक़्त पे होता है सब काम
जीवन कठिन परीक्षा लेती पर मौका है सबको  देती 

एकबार जो भटक गया वह लौट कभी नहीं पाता है 
चलना सीखो संभल-संभल कर है अनमोल ये जीवन मेरा . 

 

रविवार, 25 जुलाई 2021

जीवन की पटकथा

जीवन तीन अक्षरों से बना है
ये शब्द नहीं पूरी परिभाषा है

जी का मतलब, जी भर जियो
खुशिया भी तेरी गम भी तुम्हारे  

व का मतलब, बढ़ते चलो 
जिंदगी आगे बढ़ने का नाम है 

न का मतलब, नदी की तरह चालो
अपनी राह खुद बनाओ 

मंजिलें खुद ब खुद सामने आएंगी 
नदी बहकर सागर में मिलती है 

और जैसे पूर्ण हो जाती है 
वैसा ही है मानव जीवन 

अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए 
आत्मा से परमात्मा में मिल जाती है 


गुरुवार, 15 जुलाई 2021

बंधन

बहुत सह लिया नहीं सहेंगे अब कोई बंधन
जीवन है उन्मुक्त हमारा मन स्वछंद पवन

खाते है सौगंध धरा की 
विचलित कभी ना होंगे हम 

जीवन की हर घड़ी संजोकर 
धैर्य और साहस के बलपर 

कदम-कदम पर ठोकर खाकर 
परखा है जीवन को हमने

बहुत सह लिया नहीं सहेंगे अब कोई बंधन
प्यार हमारा देखा था अब देखोगे दम 

बहुत सभ्यता की बाते की 
अब हुंकार भरेंगे हम 

बहुत खा लिया पीठ पर  खंजर 
अब  जवाब की  बारी है 

गिन-गिन कर हर जख्म की कीमत 
लेकर चैन हमें आएगा 

सबकी सुनते रहे आजतक 
अब मेरी  सुननी होगी 

है अखंड यह भारत मेरा 
खंडित कभी न होने देंगे .    


बुधवार, 7 जुलाई 2021

वो रात

जब दिन में ही हर ओर क्रंदन है
तो वो रात कितनी खौफनाक होगी
हर गली सूनी हर घर में अँधेरा छाया 
दिन खाने को दौरता है तो रात काटे नहीं कटती 

हर ओर जख्म के ही दाग बिखरे हैं 
वो रात न जानें कहां गुम हो गई 
जब हम चाँद तारों से बातें करते थे 
हर ओर ख़ुशी और सुकून था 
जीवन की आशा थी प्यार की परिभाषा थी 

आज तो बस काली रात कि छाया है 
दम तोड़ते रिश्तों की रूदन है 
आंखों में आंसू और ह्रदय में चुभन है 
हम खामोश हैं पर सवाल अनगिनत है 

घर-घर में चीख - पुकार है 
हर ओर सन्नाटा पसरा है 
ना तो खुशियों से भरा वो दिन हैं 
ना प्रेम वर्षाती वो रातें 

अपनों के विरह में सब कूछ  बिखरा-बिखरा है 
जीवन के जंग में कोई जीत गया 
तो कोई हारकर बैठा है . 

शुक्रवार, 18 जून 2021

बदलते दौर कि आपबीती

जिंदगी से जिंदगी के फासले बढ़ते गए
हर कोई बस मौन साधे धुन में अपने चल दिया

जिंदगी कि लालसा हर कोई जब है पालता 
फिर किसी कि जिंदगी में दर्द क्यों है मांगता 

जब तक ख़ुशी के आईने में खुद को अकेला मांगोगे 
मिलेंगी तन्हाईया ख़ुशी कभी ना पाओगे 

पोंछते हम रह गए गैरों के बहते नीर को 
अपनों ने जमकर रुलाया खुद हमारी आंख को 

सबको अपना मानकर बढ़ते रहे हम राह में 
रा गए अंजान हरदम चल रही खामोशिओं से 

जब भी तोड़ा मौन आंखों से अगन सी झांकती 
अश्रुधारा  भी नयन से साधती संवाद देखो 

सब खड़े हैं एक लय हो गैर या अपना कोई 
इस समर में मौन साधे रह गया वह धीर कोई 

जिंदगी को जिंदगी से जोड़कर जिसने जिया 
इस समर में वीर उससा है नहीं कोई और .  

बुधवार, 9 जून 2021

निश्चय की ओर

खेल रही है आँख मिचौली
जीवन मेरे अरमानों से

राह मेरी  ऐसी है जैसे
 हो कोई बबूल का पेड़

काँटों से छलनी होता है 
रोज मेरा ये पैर 

ह्रदय वेदना सह-सह कर 
हो गया रेत  का ढेर 

आंक रहा हर रिश्ता मुझको 
नाप रहा है पैमानों पर 

हर पैमाना छोटा होता 
गहरी होती परछाई से 

जीवन मुझको कुछ दे जाता 
हर मुस्किल की ठोकर से 

बढ़ते जाते कदम-कदम हम 
दृढ़ता से निश्चय की ओर.   

शनिवार, 5 जून 2021

प्यारा पप्पी

प्यारा पप्पी देता झप्पी
गुड़िया के मन को वह भाता
गुड़िया के संग-संग वह खेले 
ठुमक-ठुमक के आए जाए 

लोट-पोट हो गुड़िया रानी 
पप्पी को करती ही झप्पी 
सुबह सवेरे उठकर गुड़िया 
पप्पी को है सैर कराती 

गुड़िया और पप्पी का रिश्ता 
जैसे दोनों भाई - बहन हो 
पप्पी के संग मिलकर गुड़िया 
रोज नए करतब करती है 

प्यारा पप्पी देता झप्पी
बच्चों के मन को वह भाता 
बच्चों के संग खेल-खेलकर 
पप्पी भी पुलकित हो उठता. 


सोमवार, 24 मई 2021

अनजाने रिश्ते

रिश्ते अनजाने बोल रहे
मन के मयखाने खोल रहे
रस समरसता का घोल रहे 
आँखों के आँसू पोंछ रहे 

रिश्ते अनजाने बोल रहे 
वो घर-घर जाकर डोल रहे 
मदद कोई जो मांगे उनसे 
भाग-भाग कर पहुंचे उनतक 

रिश्ते अनजाने बोल रहे
घर-घर से नाता जोड़ रहे 
गुमसुम हताश बैठे लोगों तक 
खाकी ने हाथ बढ़ाया 
दी मदद हाथ से हाथ मिला 
उनको मुकाम तक पहुँचाया 

रिश्ते अनजाने बोल रहे
कड़वी सच्चाई खोल रहे 
अपनों ने हाथ छुड़ाया 
गैरों ने हाथ बढाया 
जीवन का पाठ   पढ़ाया 

रिश्ते अनजाने बोल रहे
मन के मयखाने खोल रहे
जीवन जिसपर कुर्बान किया 
उसने हमको अनजान किया. 

  



गुरुवार, 20 मई 2021

विपदा

ये कैसी विपदा आई
चहुँ ओर उदासी छाई
हँसते खिलते चेहरे पर 
आँसू की बूंदें आई 

ये कैसी विपदा आई 
खुशियों पर ग्रहण लगाई 
सब कैद हुए घर-घर में 
सब बिछड़ रहे हैं अपने 

ये कैसी विपदा आई
सब ओर मचा है क्रंदन 
मूक दर्शक घर और आंगन 
हर ओर विरह की बातें 
है दर्द भरा ये मौसम 

ये कैसी विपदा आई
जीवन खामोश हुई है 
आंसू नयनों में सूखे 
मुख पर ख़ामोशी छाई 

ये कैसी विपदा आई
हर ओर अकेलापन 
हर घर में ख़ामोशी है 
जो छोड़ गए इस जग को 
अंतिम विदाई में उनके 
गिनती के लोग खड़े हैं 

ये कैसी विपदा आई
लुट गया सभी कुछ अपना 
दिल को समझाऊ कैसे 
आगे कुछ अच्छा होगा 
ये सुनी सड़के फिर से 
आबाद कभी क्या होगी . 


मंगलवार, 18 मई 2021

श्रधा सुमन

श्रधा सुमन प्रेम अर्पण करूं
तुम देवलोकों में विचरण करो
सब छोड़ तुम मोह माया का बंधन 
जगत से पड़े लोक में जब चली 
अश्रुधारा  नयन से बहा के चली

श्रधा सुमन प्रेम अर्पण करूं
तुम्हे मुक्ति मिले मुक्त संसार हो 
तुम जहाँ भी रहो प्यार ही प्यार हो 
सारी खुशियाँ मिले अब नए वेश में 
रह गए शेष सब आज सन्देश में 

श्रधा सुमन प्रेम अर्पण करूं
याद मिठे भी हैं याद कड़वे भी हैं 
भिगते हैं नयन याद जब भी करूँ 

श्रधा सुमन प्रेम अर्पण करूं
जीवन की बहती धारा से 
तुम राह मोड़ कर निकली हो
तुम अपनी राह बना लेना 

श्रधा सुमन प्रेम अर्पण करूं
तुम मुक्त गगन में छा जाना 
तुम तारों के देश में 
टीम-टीम तारों सा करना.   


शनिवार, 15 मई 2021

सावन की पहली बारिश

सावन की पहली बारिश में
भींगा तन - बदन हमारा
मन मोर हुआ है अब तो 
गीतों की धुन सांसों में 
रिमझिम फुहार के बीच बसी

सावन की पहली बारिश ने 
मन के तारों को छेड़ दिया 
कुछ भूले बिसरे यादों को 
मन के आँगन में खोल दिया 

हरियाली ने दस्तक देकर
 हर ओर सुहाना कर डाला 
ठंढी - ठंढी बही बयारें 
कोयल मीठी बोल रही है 

प्रकृति भी सावन के संग-संग 
अपनी खुशियां बांट रही है 
मोर - मोरनी की खुशियों में 
हम सब मिलकर गाते हैं 
सावन की पहली बारिश का 
सब आनन्द उठाते हैं।   
 

शनिवार, 8 मई 2021

मैं नन्ही परी

मैं नन्ही परी जादू की छड़ी
मुस्कान सदा दे जाउंगी

मैं रोज तेरे सपनों में आकर 
आँखों से नींद चुराउंगी 

हूँ आज यहाँ कल दूर देश 
मैं पंख लगा उड़ जाउंगी 

अपनी मिट्टी की खुशबु को 
परदेश में भि फैलाउंगी 

मैं जाऊ जहाँ सबको अपना 
खुशियों का मंत्र बताउंगी

मैं नन्ही परी जादू की छड़ी
सब ओर ख़ुशी फैलाउंगी  

माँ की ममता आंचल की छावं 
माँ की खुशियाँ  मेरी मुस्कान .


गुरुवार, 6 मई 2021

तलाश

कर रहे तलाश जिंदगी की
दिन रात खौफ में हैं
साँसें जो ढूंढता हूँ
गले मौत मिल रही है
हर पल हमारी सांसें 
बेमौत मर रही है 

हर ओर पसरी मायूसी 
जीवन बड़ा कठिन है 
मेरी तलाश मुझको 
ले जाएगी कहाँ तक 

है कौन सा ये मंजर 
कैसी विरानगी है 
अपनों से दूर अपने 
कैसी ये वानगी है 

जो चल रहे थे आगे 
पिछे को हो लिए हैं 
जो सांस बच गई तो 
फिर से तलाश लेंगे 

मंजिल जो खो गया है 
वो राह फिर मिलेंगे 
पर खो गए जो अपने
फिर अब कहाँ मिलेंगे . 

बुधवार, 5 मई 2021

रिश्तेदार

कोई रिश्ता कभी पुराना नहीं होता
ये संच है कि जिंदगी का कोई ठिकाना नहीं होता

हर पल परिस्थितियां बदलती रहती है 
पर इंसानियत कल्ह  भी वैसी ही थी 
आज भी वैसी ही है 
और आगे भी वैसी ही रहेगी 

जो रिश्ता बदल लेते हैं, वक़्त के साथ 
वो हमारे रिश्तेदार नहीं होते 
वो जीवन की राह में मिलने वाले 
वो बेगाने हैं, जिनकी कोई पहचान नहीं होती 

अनजाने लोगों का क्या 
वो तो रोज  मिलते हैं 
और फिर रोज बिछड़ जाते हैं 

रिश्ते और रिश्तेदार 
दोनों उस अहसास की तरह हैं 
जो वक़्त के साथ और गहरी होती जाती है 

संच्चे रिश्ते में नफरत की कोई जगह नहीं होती 
विश्वास इतना मजबूत होता है कि 
कोई भी आफत उसे डरा नहीं पाता 
कोई भी झोंका उसे गिरा नहीं पाता .

गुरुवार, 29 अप्रैल 2021

जीवन की डूबती सांसे

जीवन कितनी ठोकर मारे
फिर भी हमको चलना होगा
चाहे बाधाएं कितनी आये 

छाये प्रलय की घोर  घटा पर 
सांस थामकर चलना होगा 

जीवन के हर कड़वे घूंट को 
हृदय थामकर पीना होगा 

घोर प्रलय की इस बेला को 
ह्रदय थामकर सहना होगा 

हर ओर मची इस क्रंदन को 
भर नयन नीर में बहना होगा 

माँ के ममता के आँचल को भी 
इस करुण पलों को सहना होगा 

घर टूटे कितने बिखर गए 
कितने अपनों से बिछड़ गए 

है आस अभी बांकी अब तो 
हे दयानिधि कुछ कृपा करो 

हम सांस थामकर बैठे हैं 
इसमें अब बाधा और न दो 

है बहुत हुआ अब और नहीं 
जीवन धारा निर्बाध करो 

हे प्रभु आप हो देख रहे 
तो जीवन नैया पार करो

सब ताक रहे हैं आस प्रभु 
अब और नहीं तुम मौन धरो।   

बुधवार, 28 अप्रैल 2021

अपशब्द

शब्द गढ़कर तो देखो
मुश्किल आएगी जरूर

अपशब्द बड़ा सरल होता है 
अपनेआप मुँह से निकल जाता है 

शब्द चंचल शब्द निर्मल होता है 
शब्द कोमल होता है 

शब्द की सीमा होती है 
शब्द की मर्यादा होती है 

पर अपशब्द तो हमेशा से सीमाहीन
 दिशाहीन और मर्यादाहीन रहा है 

अपशब्द की खातिर रिश्ते 
हरदम टूटा करते हैं 

शब्दों के कुछ मधुर तर्क से 
टूटे रिश्ते जुड़ जाते हैं 

अपशब्दों को छोड़ हे मानुष 
शब्दों की मर्यादा जानों 

शब्द ख़ुशी है शब्द प्रेम है 
शब्द हमारी अभिब्यक्ति।




गुरुवार, 1 अप्रैल 2021

अपयश

यश की आशा करते - करते
कब अपयश मिल जाता है

खुशियाँ सबको बाँट-बाँट कर 
खुद का नयन भिगोता है 

मीठी बोली बोल-बोल कर 
सबके ताने पाता है 

सबको अपना कहते-कहते 
बैर सभी का पाता है 

कलयुग की यह दशा देखकर 
हमको रोना आता है 

ठगने का जो काम है करता 
सबका प्यारा होता है 

पर सच्ची बातों से परिचय 
सबका जो करवाता है 

दूर अकेले कालखंड में 
खड़ा सदा रह जाता है. 

शनिवार, 27 मार्च 2021

मानव जीवन

मानव का जीवन है रहस्य
मानवता उसका जटिल प्रेम
खुशियाँ फूलों का उपवन है
जिसमे चुभते काटें हजार

बचपन अनमोल खजाना है 
खुशियों का ताना-बाना है 
है रोज उम्र बढ़ती जाती 
खुशियाँ पीछे छूटती जाती 

मानव का जीवन है रहस्य
मानवता उसका जटिल प्रेम
जीवन में रोज नई उलझन 
कल होगा क्या यह ज्ञात नहीं 

उलझन कोई उलझाएगा 
या देकर कोई नया लक्ष्य 
रुके हुए इस जीवन को 
कोई गति नई मिल जायेगी 

हर रोज परीक्षा देनी है 
हर रोज प्रश्न सुलझाना है 
गम के और ख़ुशी के आँसू 
दोनों का आनंद उठाना 

बढ़ते उम्र की बढ़ती उलझन 
बढ़ा दायरा काम का 
जीवन के हर मोड़ से परिचय 
वक़्त हमें करवाता है 

जीवन की हर गुत्थी  को
 वक़्त ही सुलझाता है.   

मंगलवार, 16 मार्च 2021

अब्यक्त

बनना नहीं भीड़ का हिस्सा
मैं तो पथिक अकेला हूँ

राग-द्धेष  से दूर कहिं 
मैं चंचल हवा सलोना हूँ 

रूक-रूक कर जीवन जीना 
है आता नहीं मुझे 

गिर-गिर कर ठोकर खाकर 
जख्मों को दोस्त बनाकरके 

गिरना भी है उठना भी है 
पर करना सदा नया कुछ है 

जीवन को मोड़ नया देकर 
गढ़ना संकल्प नया मुझको 

कुछ अलग करें कुछ खास करें 
है वक़्त हमें अनमोल मिला 

है धूप-छाँव गर्मी-सर्दी 
जैसे मौसम के साइन में 

रोना-गाना  खोना-पाना 
सब है जीवन के हिस्से में 

है आज वक़्त मुश्किल फिर भी 
जीवन को रोक नहीं सकते 

बुधवार, 10 मार्च 2021

अधूरा सपना

कुछ सपने अधूरे रह जाते हैं
दूर क्षितिज में बस जाते हैं
जब हम जाते पार चाँद के 
तभी हमें फिर याद आते हैं

कुछ सपने अधूरे रह जाते हैं
जीवन से कुछ कह जाते हैं 
सोते-सोते तड़पाते हैं 
जगने पर फिर याद आते हैं 

कुछ सपने अधूरे रह जाते हैं
बरबस नयन भिगो जाते हैं 
चाँद पलों में सफ़र मील का 
यादों में हम तय कर जाते 

कुछ सपने अधूरे रह जाते हैं
कुछ  बिछड़े कुछ मिल जाते हैं 
नए- नये सपने गढ़ते हैं 
कुछ पाते कुछ खो जाते हैं 

चलों आज यह भेद मिटा दें 
कोई है अपना कोई पराया 
मन से ऐसा वहम  हटा दें 

जो सपने हमने पाले थे 
क्यों नहीं उनको आज मिटा दें 
जो मिला हमें वह अपना था 
जो टूट गया वह सपना था।  



 


गुरुवार, 4 मार्च 2021

अपना घर

दरवाजे पर बैठा पप्पू
अपने धुन में रमा हुआ

कभी घूरता अपने घर को 
कभी सामने सड़कों को 

आते जाते लोग मगन थे 
अपने घर की यादों में 

पप्पू बैठा सोंच रहा था 
अपना भी एक घर होगा 

जहाँ न कोई खिट -खिट  पिट-पिट
ना कोई अनबन होगी 

अपनी मर्जी अपने नियम 
सब अपना-अपना सा होगा 

पता बदलने की उलझन से 
हमें निजात फिर मिल जायेगा 

तुम हो बाहर वाले ऐसा 
कोई नहीं फिर कह पायेगा

अपना घर अपनी पहचान 
पप्पू को भी मिल जायेगा  


गुरुवार, 25 फ़रवरी 2021

कड़वी यादें

अमृत की है मारामारी
विष का भागी कौन बने
विष पिकर अमृत का अनुभव 
साझा करने की ठानी 

कड़वी यादें परछाई है 
हमें मुकाम तक ले जाने की 
कई ब्यक्त-अब्यक्त कथा को 
मंजिल तक पहुँचाने की 

जब होती तारीफ़ हमारी 
अहम् साथ भी लाता है 
पर जब कोई ढूंढ-ढूंढ कर 
नए नुक्श बतलाता है
फिर पानी की भांति निर्मल 
करके हमें वह जाता है 

दुआ नहीं गर हमें मिला तो 
नफ़रत को ही बना के ताकत 
हर मंजिल को पाना है 

कड़वी यादें दुःख देती है 
पर जीवन में कामयाबी की 
कुँजी यहीं से मिलती है 

आग में तपता है जब सोना 
तब वह कुंदन  बनता है 
कौन है हिरा कौन है पत्थर 
बिना तराशे कोई न जाने 

बिना गिरे ठोकर की कीमत 
नहीं किसी ने जानी है 
गिर-गिर कर ही हमने सीखा 
अपने पैरों पर चलना 

कड़वी यादें सदा साथ में 
हिम्मत बनकर चलती है 
कड़वी यादों को संजोकर 
समर जीतने की ठानी।

मंगलवार, 23 फ़रवरी 2021

ब्यथा (वैक्सीन की )

आजकल अटकलों का बाजार गर्म है
घर हो या बाहर हर जगह चर्चा मेरी है

हर ब्यक्ति चाहे बच्चा हो या बूढ़ा 
मुझे पाने को बेताब है 

कोई डरकर मुझसे मिलना चाहता है 
तो  कोई ख़ुशी-ख़ुशी 

कुछ लोगों को बड़ी जल्दी है मुझे पाने की 
वहीँ कुछ लोग हमें बदनाम करने का 
कोई मौका चूकना नहीं चाहते 

मैं सबतक पहुंचूंगी सबका साथ दूंगी 
हर ओर खुशियाँ फैले मैं पूरी कोशिश करुँगी 

चाहे मुझपर अटकलें लाख लगे 
मैं हार नहीं मानूंगी  मैं पीछे नहीं हटूंगी 

हर एक ब्यक्ति को विस्वास दिलाने की 
अपनी अनवरत कोशिश जारी रखूंगी 

कोरोना जैसे खतरनाक महामारी से 
हर एक ब्यक्ति को मुक्त कराउंगी।  

गुरुवार, 18 फ़रवरी 2021

धैर्य

बीती ताहि बिसार दे
आगे की सुधि लेओ
यश-अपयश दोनों मिला 
जैसा था विधि लेख 

सारे अपने दूर हुए 
हम जा बेस गैरों के बिच 
सारे अपयश भूलकर 
जाके बेस परदेश 

नया देश था नए लोग थे 
रहे थी अंजान हमारी 
ना वो जाने ना मैं जानूं 
फिर भि सब अपना-अपना था 

पर जानें गंतब्य में कितनी
उलझन हमें और मिलनी थी 
कितने यश कितने अपयश का 
हिस्सा हमें और बनना था 

रोज नए उलझन को लेकर 
नई कसौटी पर चढ़ना था 
लक्ष्य दूर था कठिन डगर थी 
जीवट लेकर चलना था 

यश- अपयश के साथ बिठाना 
तालमेल हमने सिखा 
कठिन घड़ी के कठिन पलों को 
जीवट से हमने काटा।  
 


सोमवार, 15 फ़रवरी 2021

यादों का सफर

सफर सुहाने यादों का
बचपन के नादानी का
नानी के घर जाने का 
जमकर मौज मनाने का 

नानी के संग मेला जाना 
खील बताशे जमकर खाना
नानी से जमकर बतियाना 
मामा के संग गांव घूमना 

नानी सुनाती रोज कहानी 
मामी जमकर कान खींचती 
नए - नए जुमलों से चिढ़ाती 
रोज नए पकवान खिलाती 

मौसी घर-घर हमें घुमाती 
दिनभर घूमकर बात बनाती 
घर-घर का किस्सा सुनकर 
मैं दिनभर में बोर हो जाती 

लौट के घर पर जब मैं आती 
करती माँ से चिल्लम - चिल्ला 
फिर क्या माँ दो चपत लगाती 
कहती फिर चुप बैठो अंदर 
पढ़ो लिखो कुछ काम करो 

मेरा सिर खाने से अच्छा 
ध्यान पढाई में तुम दो 
मिलने यहाँ सबसे आये हैं 
कुछ अपनी कुछ उनकी सुनकर 
वापस हमें चले जाना है 
सारी यादें लेकर उनकी 
हमें लौटकर फिर जाना है 

सफर सुहाने यादों का 
बचपन की नादानी का
याद हमें जब आती है 
मंद-मंद मुस्कान से हमको 
भाव - विभोर कर जाती है।   

शुक्रवार, 12 फ़रवरी 2021

जादूगर

जादूगर आता है 
जादू दिखाता है
बच्चों को हँसाता है 
खूब तारीफ पाता है 

जादूगर  का कमाल देख
बच्चे हो या बूढ़े 
सब गदगद हो जाते हैं 
तालियाँ भी खूब बजती है 

पर कुछ बच्चे घर जाकर
हो जाते उदास 
काश वो जादू कर पाते 
खुद पे जादू आजमाते 

पर भोले भाले बच्चे 
 एक भी जादू कर नहीं पाते  
समझाते फिर दादा जी 
बच्चों मन छोटा मत करना 

जब तुम भी बड़े हो जाओगे 
फिर तुम भी जादू कर पाओगे 
अच्छा दादा वो कैसे 

नई पढाई नया तरीका 
लेकर तुमको आना है 
मिलजुलकर अपने भारत का 
नया स्वरुप बनाना है 

बच्चे तुम हो भविष्य देश का 
तुमको एक इंसान बनाना 
ये जादू से कम है क्या':::::?

 

मंगलवार, 9 फ़रवरी 2021

हम हमेशा दोस्त रहेंगे

चाहे हम जहाँ कहीं भी रहें
हम हमेशा दोस्त रहेंगे

वक़्त आसान हो या मुश्किल
हम हमेशा दोस्त रहेंगे

हम पास रहें या दूर देश 
हम हमेशा दोस्त रहेंगे

भावनाओं के आदान -प्रदान  के लिए 
हमें कभी भी पत्र की जरूरत नहीं होगी 

एक सच्चा दोस्त वही होता है 
जो मुश्किल वक़्त में भी 
दोस्त के साथ खड़ा होता है 

जिंदगी के उतार - चढ़ाव में भी 
हौसला एक - दूसरे का बनेंगे हम 

मुश्किल से मुश्किल वक़्त में भी 
नई राह ढूंढ लेंगे हम 

क्योंकि हम जानते हैं हम 
हम हमेशा दोस्त रहेंगे

 

बुधवार, 3 फ़रवरी 2021

ये कैसा देश

छोटी साज़िश मोटी साज़िश
साज़िश के ऊपर भी साज़िश

साज़िश के बदले भी साजिश 
साज़िश के पहले भी साजिश 

साजिश करना देश तोड़ना 
मुमकिन है तेरा अरमान 

लेकिन ये अरमान तुम्हारा 
कभी न पूरा हो पाएगा 

कौन है अपना कौन पराया 
जनता सबकुछ जान चुकी है 

कौन है सच्चा कौन है झूठा 
सबकुछ जनता जान चुकी है 

गलत - सही  में करना फर्क 
वक़्त ने हमको सब सिखलाया 

हर झूठे चेहरे से परदा 
वक़्त ने अपने-आप  उड़ाया 

भारत माँ के साथ कौन है 
कौन खड़ा है राह रोककर 

किसने माँ की खातिर अपनी 
जान दावं पे लगा दिया 

साज़िश का बाजार गर्म है 
अफ़रा -तफ़री मची हुई है 

कोई डाली पर बैठ काटता 
कोई पौधे सींच रहा है 

अपना है यह देश अनोखा 

सोमवार, 1 फ़रवरी 2021

वो मैं ही हूँ

तुमने जिसे दिल से चाहा
वो मैं ही हूँ


तुमने जिसे अपने लिए माँगा 
वो मैं ही हूँ 

तुमने जिसे अपनी धड़कन में महसूस किया 
वो मैं ही हूँ 

मैं तुम्हारे जीवन के हर कण में हूँ 
मैं तुम्हारे जीवन के हर क्षण में हूँ 

मैं हरदम तुम्हारे साथ हूँ 
मैं हमेशा तुम्हारे हृदय में हूँ 

मुझे यहाँ - वहाँ  मत ढूंढों 
मैं तुम्हारे अंदर ही लय हूँ 

जीवन में मृत्यु में सुख में दुःख में 
सिर्फ मुझे महसूस करो। 



गुरुवार, 28 जनवरी 2021

रिक्शे वाला

रिक्शे वाला मौन साधकर
चुप बैठा रिक्शे पर अपने


मोटरगाड़ी दौड़ रही है 
चें - चें  पों - पों  मची हुई है 

कोई पैदल भाग रहा है 
तो कोई गाड़ी के पीछे 

सबको जल्दी मची हुई है
भगदड़ में सब शामिल हैं 

इनके साथ चलाऊँ अपना 
रिक्शा कैसे मैं जल्दी 

न तो इतनी ताकत मुझमे 
ना रिक्शा में मोटर है 

अपना रिक्शा सदा प्यार से 
सबको मंजिल तक पहुंचाए 

पर आज नहीं है चैन किसी को 
ना जीने की फुर्सत है 

भाग रहे सब धुन में अपने 
कोई किसी की सुध नहीं लेता 

चारों ओर मचि  भगदड़ पर 
मन का कोना - कोना सूना। 

बुधवार, 27 जनवरी 2021

मैं

रात की  काली घटा ने
घेरकर मेरी छंटा को

धुंध सा धुंधला किया 
सब तेज उसमे खो गया 

मैं निरंतर बादलों में 
घिरकर खोया सा रहा 

मैं कभी रोया नहीं 
मैं कभी सोया नहीं 

हर कदम हमने बढाई 
रौशनी कि ओर ही 

मेहनत से डरकर कभी भी 
कर्म पथ छोड़ा नहीं 

जाऊ जिस भी राह मैं 
हर राह पर रोड़ा मिला 

हर कोई मुझको आजमाता 
हर दिन नए संघर्ष से नाता हमारा 

वक़्त भी लेती परीक्षा सब्र का 
है कठिन ये वक़्त 
मेरे इम्तिहान का...
 


सोमवार, 25 जनवरी 2021

रास्ते

है रास्ते अपनी जगह सब
पर राही नए - नए हैं रोज

मंजिल सबकी अलग - अलग 
पर राह चले सब एक 

पाना मंजिल सबको अपना 
जीवन का सपना है सबका 

खोना - पाना मिलना - बिछड़ना 
जीवन का है ताना - बाना 

राहें संकरी कठिन मोड़ है 
चलना संभल - संभल कर पड़ता 

गहरी खाई मोड़-मोड़ पर 
सब्र टूटने का मम हर दम 

सुनी सड़के खौफ जदा सब 
मौन तोडती पेड़ की आहट 

रात घनी है अंधकार मय 
धुध की चादर बनकर कोहरा 
फैला नभ-तल दोनों पर। 

शनिवार, 23 जनवरी 2021

बिल्ली मौसी

चुहिया बोली बिल्ली मौसी
क्यों तुम मुझको रोज डराती

तुम हो सबकी प्यारी मौसी 
फिर क्यों मुझको आँख दिखाती 

बन जाओ मेरी मौसी भी 
दोनों मिलकर मज़े करेंगे 

बैठ रसोई में हम दोनों 
दूध  मिठाई  फल को चखेंगे 

हम दोनों की जोड़ी मिलकर 
रोज नए कुछ काम करेंगे।  

गुरुवार, 21 जनवरी 2021

मेट्रो की सवारी

मेरे शहर में आ गई
मेट्रो की सवारी

बस का धक्का - मुक्का छूटा 
छूटा पीछा सड़क की जाम से 

मेट्रो से हम झटपट पहुंचे 
शहर का कोना - कोना घुमा 

झटपट आती झटपट जाती 
झटपट सबको घर पहुंचाती 

सबका टाइम बचाती  मेट्रो 
साफ - सफाई भी सिखलाती 

वक़्त पे आना वक़्त पे जाना 
वक़्त का मोल सिखाती मेट्रो 

बच्चों के मन को भाती  मेट्रो
शहर का सैर कराती मेट्रो।   
 

मंगलवार, 19 जनवरी 2021

यात्रा

ज्ञान से विज्ञानं की ओर
पूरब से पश्चिम की ओर
जीवन से वैभव की ओर 
प्रेम से विरह की ओर 
अपनत्व से अलगाव की ओर
 शान्ति से क्रान्ति की ओर 
चाहत से वैमनस्य की ओर 
दुःख से सुख की ओर 
बचपन से बुढ़ापा की ओर 
जीवन से मृत्यु की ओर 
आत्मा से परमात्मा की ओर 
अनवरत चलने वाली यह यात्रा 
न तो रूकती है और न थकती है।   

शनिवार, 9 जनवरी 2021

टमाटर

लाल टमाटर गोल - मटोल
सब सब्जी में इसका मोल
फलता यह भूमि पर लोट 
छोटे - छोटे पौधों में 
फलता  है यह ढ़ेर के ढ़ेर 

लाल टमाटर गोल - मटोल
सब सब्ज़ी का है यह प्यारा 
सब सब्ज़ी का मान बढ़ाता 
स्वाद सभी के मन को भाता

लाल टमाटर गोल - मटोल 
कभी सलाद तो कभी ब्रेड पर 
हर थाली पर सज कर आता 
सॉस - अँचार के रूप में आता 
खाने के हर डिश पर छाता।  

   


बुधवार, 6 जनवरी 2021

बच्चों का जीवन

बच्चे मन के होते सच्चे
सबके मन को वो भाते हैं
सबके चेहरे पर खुशियों के 
नए रंग वो दे जाते हैं  

बच्चे खाते  चाट - मिठाई 
या फिर खाते नानकताई
सुबह - सबेरे  खिटपिट करते 
होते हरदम गुत्थम- गुत्था

बात - बात पर उनकी ठनती 
फिरब भी सब हैं मिलकर रहते 
खेल - खिलौना हंसना - रोना 
दिनचर्या बस इतनी उनकी

ना कोइ गम ना कोई सितम है 
ना कोई चिंता कोइ ना  फिकर है 
जीवन का अनमोल ये पल है।   

  
 



शनिवार, 2 जनवरी 2021

मन का सूरज

मन का सूरज कभी बूझने न देना
गम लाख परेशान  करे तो क्या
अँधेरे से अपने घर की चाँदनी 
को कभी ढकने न देना 

मन के सूरज को हमेशा चमका पाओगे 
गर अपने हिम्मत में मेहनत की छौंक लगाओगे 
दिन आया है तो रात तो आएगी ही 
उजाला अपने साथ - साथ 
कुछ अँधेरा तो लाएगी ही

मन के  सूरज कभी बूझने न देना
ये तन मिला है बड़ी सिद्दतों  के बाद 
करने हैं भूत काम अभी बांकी 
गढ़ने हैं मुकाम अभी काफी 

मन के सूरज कभी बूझने न देना
हर मोड़ पर मुश्किलों से सामना होता है 
पर मुश्किल के बाद हौसला अपना मजबूत होता है।