बुलाया मुझे साथ चल दो मेरे
राह होगी कठीन पर गिरोगे नहीं
मैं वही कृष्ण हूँ मैं वही राम हूँ
मंदिरों में जिसे ढूंढते हो सदा
मैं तुम्हारे ह्रदय में ही बैठा सदा
याद करते रहो कर्म करते रहो
मैं सदा साथ हूँ तुम कभी ना डरो
हो मुश्किल घड़ी और कठिन हो डगर
याद करते हुए काट लेना सदा
पार जाओगे तुम जीत पाओगे तुम
ह्रदय को जो मंदिर बनाओगे तुम
मैं तुम्हारा हूँ और तुम मेरे अंश हो
तुम हो ब्रम्हांड में मैं हूँ उससे परे.
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 18-08-2021को चर्चा – 4,161 में दिया गया है।
जवाब देंहटाएंआपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी।
धन्यवाद सहित
दिलबागसिंह विर्क
सर आपका बहुत-बहुत आभार
हटाएंसत्य वचन । अति सुन्दर भाव ।
जवाब देंहटाएंअमृता जी आपका बहुत-बहुत आभार
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंसर आपका बहुत-बहुत आभार
हटाएंबहुत खूब आध्यात्मिक चिंतन , दर्शन देती पोस्ट।
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभार
हटाएंसही कहा।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर सृजन।
सादर
मेरा हौसला बढ़ाने के लिए अनीता जी आपका बहुत-बहुत आभार. कभी शब्दों के प्रयोग में कोई त्रुटी हो तो कृपया हमारा मार्गदर्शन करे हमें अच्छा लगेगा.
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