जीवन मेरे अरमानों से
राह मेरी ऐसी है जैसे
हो कोई बबूल का पेड़
काँटों से छलनी होता है
रोज मेरा ये पैर
ह्रदय वेदना सह-सह कर
हो गया रेत का ढेर
आंक रहा हर रिश्ता मुझको
नाप रहा है पैमानों पर
हर पैमाना छोटा होता
गहरी होती परछाई से
जीवन मुझको कुछ दे जाता
हर मुस्किल की ठोकर से
बढ़ते जाते कदम-कदम हम
दृढ़ता से निश्चय की ओर.
वाह।
जवाब देंहटाएंthanks
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