यह ब्लॉग खोजें

Translate

विशिष्ट पोस्ट

सपने

आँखों में सपने थे  ढेरो अरमान थे दिल में  कुछ अलग करने की  हमने भी ठानी थी  सपने बड़े बड़े थे  पर साधन बहुत सीमित थे  मंज़िल आँखों के सामने थी ...

बुधवार, 9 जून 2021

निश्चय की ओर

खेल रही है आँख मिचौली
जीवन मेरे अरमानों से

राह मेरी  ऐसी है जैसे
 हो कोई बबूल का पेड़

काँटों से छलनी होता है 
रोज मेरा ये पैर 

ह्रदय वेदना सह-सह कर 
हो गया रेत  का ढेर 

आंक रहा हर रिश्ता मुझको 
नाप रहा है पैमानों पर 

हर पैमाना छोटा होता 
गहरी होती परछाई से 

जीवन मुझको कुछ दे जाता 
हर मुस्किल की ठोकर से 

बढ़ते जाते कदम-कदम हम 
दृढ़ता से निश्चय की ओर.   

2 टिप्‍पणियां: