साज़िश के ऊपर भी साज़िश
साज़िश के बदले भी साजिश
साज़िश के पहले भी साजिश
साजिश करना देश तोड़ना
मुमकिन है तेरा अरमान
लेकिन ये अरमान तुम्हारा
कभी न पूरा हो पाएगा
कौन है अपना कौन पराया
जनता सबकुछ जान चुकी है
कौन है सच्चा कौन है झूठा
सबकुछ जनता जान चुकी है
गलत - सही में करना फर्क
वक़्त ने हमको सब सिखलाया
हर झूठे चेहरे से परदा
वक़्त ने अपने-आप उड़ाया
भारत माँ के साथ कौन है
कौन खड़ा है राह रोककर
किसने माँ की खातिर अपनी
जान दावं पे लगा दिया
साज़िश का बाजार गर्म है
अफ़रा -तफ़री मची हुई है
कोई डाली पर बैठ काटता
कोई पौधे सींच रहा है
अपना है यह देश अनोखा
वाह।
जवाब देंहटाएंthanks sir
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