विष का भागी कौन बने
विष पिकर अमृत का अनुभव
साझा करने की ठानी
कड़वी यादें परछाई है
हमें मुकाम तक ले जाने की
कई ब्यक्त-अब्यक्त कथा को
मंजिल तक पहुँचाने की
जब होती तारीफ़ हमारी
अहम् साथ भी लाता है
पर जब कोई ढूंढ-ढूंढ कर
नए नुक्श बतलाता है
फिर पानी की भांति निर्मल
करके हमें वह जाता है
दुआ नहीं गर हमें मिला तो
नफ़रत को ही बना के ताकत
हर मंजिल को पाना है
कड़वी यादें दुःख देती है
पर जीवन में कामयाबी की
कुँजी यहीं से मिलती है
आग में तपता है जब सोना
तब वह कुंदन बनता है
कौन है हिरा कौन है पत्थर
बिना तराशे कोई न जाने
बिना गिरे ठोकर की कीमत
नहीं किसी ने जानी है
गिर-गिर कर ही हमने सीखा
अपने पैरों पर चलना
कड़वी यादें सदा साथ में
हिम्मत बनकर चलती है
कड़वी यादों को संजोकर
समर जीतने की ठानी।
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना शुक्रवार २६ जनवरी २०२१ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
स्वेता जी मेरा हौसला बढ़ाने के लिए आपका बहुत- बहुत धन्यवाद
हटाएंआग में तपता है जब सोना,
जवाब देंहटाएंतब वह कुंदन बनता है।
कौन है हीरा, कौन है पत्थर!
बिना तराशे, कोई न जाने?
बहुत सुंदर।
विश्वमोहन जी मेरा हौसला बढ़ाने के लिए आपका बहुत- बहुत धन्यवाद
हटाएंयथार्थ का दर्शन कराती रचना
जवाब देंहटाएंअनीता जी मेरा हौसला बढ़ाने के लिए आपका बहुत- बहुत धन्यवाद
हटाएंकड़वी यादें सदा साथ में
जवाब देंहटाएंहिम्मत बनकर चलती है
कड़वी यादों को संजोकर
समर जीतने की ठानी।
बहुत खूब,अतीत के अनुभव से अगर वर्तमान संवार ले तो उससे बड़ी उपलब्धि कोई नहीं
बेहतरीन सृजन
कामिनी जी मेरा हौसला बढ़ाने के लिए आपका बहुत- बहुत धन्यवाद
हटाएंआदरणीया मैम,
जवाब देंहटाएंअत्यंत सुंदर प्रेरक कविता जो हमें जीवन के दुखद अनुभवों और संघर्षों को अपनी प्रेरणा और सफलता की सीढ़ी बनाने का संदेश देता है। हृदय से आभार इस सशक्त प्रेरक कविता के लिए।
अनन्ता जी मेरा हौसला बढ़ाने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद, मैम हमारी लेखनी में कभी कोई कमी भी दिखे तो कृपया जरूर बताइयेगा। आपलोगों का मार्गदर्शन हमारे लिए बहुत कीमती है
हटाएंसबसे अलग सा ही लिखती हैं आप.....बहुत ही बढि़या
जवाब देंहटाएंसंजय जी मेरा हौसला बढ़ाने के लिए आपका कोटि-कोटि आभार। सर हमारी लेखनी में कभी कोई कमी भी दिखे तो कृपया जरूर बताइयेगा। आपलोगों का मार्गदर्शन हमारे लिए बहुत कीमती है. कोई भी रचना तभी पूर्ण होती है जब उसे पढ़ने के बाद आपके मन में कोई भाव आये.
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