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गुरुवार, 4 मार्च 2021

अपना घर

दरवाजे पर बैठा पप्पू
अपने धुन में रमा हुआ

कभी घूरता अपने घर को 
कभी सामने सड़कों को 

आते जाते लोग मगन थे 
अपने घर की यादों में 

पप्पू बैठा सोंच रहा था 
अपना भी एक घर होगा 

जहाँ न कोई खिट -खिट  पिट-पिट
ना कोई अनबन होगी 

अपनी मर्जी अपने नियम 
सब अपना-अपना सा होगा 

पता बदलने की उलझन से 
हमें निजात फिर मिल जायेगा 

तुम हो बाहर वाले ऐसा 
कोई नहीं फिर कह पायेगा

अपना घर अपनी पहचान 
पप्पू को भी मिल जायेगा  


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