बाबू बनकर खाई मलाई अब ताने से काटो दिन
कुर्सी पर बैठे बाबू की डरकर सब करते हैं मान
पर जैसे ही छुटी कुर्सी अपना मोल समझ में आया
कोई न करता दुआ सलाम मूंह फेर सब आगे बढ़ते
बाबूजी कुर्सी की ताकत का जो करते सही प्रयोग
कदम-कदम पर हर आँखों में दुआ की ताकत होती साथ
जहां भी जाते आप कभी भी ख़ुशी से स्वागत होता उनका
ह्रदय गर्व से फूला समाता झोली खुशियों से भर जाती
धन थोड़ा होता तो क्या मन का चैन सुकून तो होता
रिश्वत लेना रिश्वत देना घोर पाप है दोनों काम
सारी हो हल्ला के बाद मन को चाहिए चैन सुकून
मोती खोकर पैसा पाया पैसे से बर्बादी लाया
अब रोने से कुछ नहीं होगा दूर कहीं छुटी वह राह
हिम्मत रखकर जिसने चुनी सच्चाई की राह
धीमे-धीमे सही कदम पर आगे बढ़ते हैं वो लोग
थोड़ा धीरज धरना सिखों वक़्त पे होता है सब काम
जीवन कठिन परीक्षा लेती पर मौका है सबको देती
एकबार जो भटक गया वह लौट कभी नहीं पाता है
चलना सीखो संभल-संभल कर है अनमोल ये जीवन मेरा .
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