जीवन है उन्मुक्त हमारा मन स्वछंद पवन
खाते है सौगंध धरा की
विचलित कभी ना होंगे हम
जीवन की हर घड़ी संजोकर
धैर्य और साहस के बलपर
कदम-कदम पर ठोकर खाकर
परखा है जीवन को हमने
बहुत सह लिया नहीं सहेंगे अब कोई बंधन
प्यार हमारा देखा था अब देखोगे दम
बहुत सभ्यता की बाते की
अब हुंकार भरेंगे हम
बहुत खा लिया पीठ पर खंजर
अब जवाब की बारी है
गिन-गिन कर हर जख्म की कीमत
लेकर चैन हमें आएगा
सबकी सुनते रहे आजतक
अब मेरी सुननी होगी
है अखंड यह भारत मेरा
खंडित कभी न होने देंगे .
बहुत ही सुन्दर।🌼
जवाब देंहटाएंअखंड भारत राजनीतिक नही एक सांस्कृतिक संकल्पना है।
शत्रु सब जहां हो विरुद्ध आसमान हो लड़ेंगे तब तक जब तक शरीर में ये प्राण है। जननी जन्मभूमि स्वर्ग से महान है...!
आपका खूब-खूब आभार
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