ये शब्द नहीं पूरी परिभाषा है
जी का मतलब, जी भर जियो
खुशिया भी तेरी गम भी तुम्हारे
व का मतलब, बढ़ते चलो
जिंदगी आगे बढ़ने का नाम है
न का मतलब, नदी की तरह चालो
अपनी राह खुद बनाओ
मंजिलें खुद ब खुद सामने आएंगी
नदी बहकर सागर में मिलती है
और जैसे पूर्ण हो जाती है
वैसा ही है मानव जीवन
अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए
आत्मा से परमात्मा में मिल जाती है
नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (26-07-2021 ) को 'अपनी कमजोरी को किस्मत ठहराने वाले सुन!' (चर्चा अंक 4137) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
सर आपका बहुत-बहुत आभार
जवाब देंहटाएंरविन्द्र जी आपसे आग्रह है कि मेरी पहली प्रिंटेड कविता संग्रह मेरी भावना के नाम से फ्लिप्कार्ट पे उपलब्ध है कृपया आपलोग इसे भी प्रोत्साहित करे और औरों को भी बताएं
जवाब देंहटाएंगहनतम रचना...।
जवाब देंहटाएंThanks sir
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर सृजन।
जवाब देंहटाएंThanks Mam 🙏
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