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सपने

आँखों में सपने थे  ढेरो अरमान थे दिल में  कुछ अलग करने की  हमने भी ठानी थी  सपने बड़े बड़े थे  पर साधन बहुत सीमित थे  मंज़िल आँखों के सामने थी ...

शनिवार, 2 जनवरी 2021

मन का सूरज

मन का सूरज कभी बूझने न देना
गम लाख परेशान  करे तो क्या
अँधेरे से अपने घर की चाँदनी 
को कभी ढकने न देना 

मन के सूरज को हमेशा चमका पाओगे 
गर अपने हिम्मत में मेहनत की छौंक लगाओगे 
दिन आया है तो रात तो आएगी ही 
उजाला अपने साथ - साथ 
कुछ अँधेरा तो लाएगी ही

मन के  सूरज कभी बूझने न देना
ये तन मिला है बड़ी सिद्दतों  के बाद 
करने हैं भूत काम अभी बांकी 
गढ़ने हैं मुकाम अभी काफी 

मन के सूरज कभी बूझने न देना
हर मोड़ पर मुश्किलों से सामना होता है 
पर मुश्किल के बाद हौसला अपना मजबूत होता है। 



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