गम लाख परेशान करे तो क्या
अँधेरे से अपने घर की चाँदनी
को कभी ढकने न देना
मन के सूरज को हमेशा चमका पाओगे
गर अपने हिम्मत में मेहनत की छौंक लगाओगे
दिन आया है तो रात तो आएगी ही
उजाला अपने साथ - साथ
कुछ अँधेरा तो लाएगी ही
मन के सूरज कभी बूझने न देना
ये तन मिला है बड़ी सिद्दतों के बाद
करने हैं भूत काम अभी बांकी
गढ़ने हैं मुकाम अभी काफी
मन के सूरज कभी बूझने न देना
हर मोड़ पर मुश्किलों से सामना होता है
पर मुश्किल के बाद हौसला अपना मजबूत होता है।
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 03 जनवरी 2021 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभार
हटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंthanks sir
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