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गुरुवार, 31 दिसंबर 2020

चालाक चूहिया

चूहिया एक झांकती हरदम
आंखें  उसकी गोल- मटोल
मटक - मटक कर हरदम चलती 
कभी रसोई तो कभी शयन कक्ष 
करती रहती भागम - भाग 

कुट- कुट कर वह चीजें काटे 
कभी मजे से सब्जी खाती 
तो कभी पूरा पेपर पढ़ जाती 
दादा जी का चश्मा लेकर 
यहाँ - वहाँ वह करती रहती 

चूहिया प्यारी - प्यारी है वह 
बच्चों के मन को वह भाती 
सब्जी सारी वह चख जाती 
बच्चों को वह खूब हंसाती।   

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