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पहाड़

हमको बुलाये ए हरियाली  ए पहाड़ के आँचल  हमको छूकर जाये, बार-बार ये बादल  कभी दूर तो कभी पास ए  करते रहे ठिठोली  भोर - सांझ ये आते जाते  होठों...

सोमवार, 25 जनवरी 2021

रास्ते

है रास्ते अपनी जगह सब
पर राही नए - नए हैं रोज

मंजिल सबकी अलग - अलग 
पर राह चले सब एक 

पाना मंजिल सबको अपना 
जीवन का सपना है सबका 

खोना - पाना मिलना - बिछड़ना 
जीवन का है ताना - बाना 

राहें संकरी कठिन मोड़ है 
चलना संभल - संभल कर पड़ता 

गहरी खाई मोड़-मोड़ पर 
सब्र टूटने का मम हर दम 

सुनी सड़के खौफ जदा सब 
मौन तोडती पेड़ की आहट 

रात घनी है अंधकार मय 
धुध की चादर बनकर कोहरा 
फैला नभ-तल दोनों पर। 

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