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सपने

आँखों में सपने थे  ढेरो अरमान थे दिल में  कुछ अलग करने की  हमने भी ठानी थी  सपने बड़े बड़े थे  पर साधन बहुत सीमित थे  मंज़िल आँखों के सामने थी ...

सोमवार, 25 जनवरी 2021

रास्ते

है रास्ते अपनी जगह सब
पर राही नए - नए हैं रोज

मंजिल सबकी अलग - अलग 
पर राह चले सब एक 

पाना मंजिल सबको अपना 
जीवन का सपना है सबका 

खोना - पाना मिलना - बिछड़ना 
जीवन का है ताना - बाना 

राहें संकरी कठिन मोड़ है 
चलना संभल - संभल कर पड़ता 

गहरी खाई मोड़-मोड़ पर 
सब्र टूटने का मम हर दम 

सुनी सड़के खौफ जदा सब 
मौन तोडती पेड़ की आहट 

रात घनी है अंधकार मय 
धुध की चादर बनकर कोहरा 
फैला नभ-तल दोनों पर। 

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