पर राही नए - नए हैं रोज
मंजिल सबकी अलग - अलग
पर राह चले सब एक
पाना मंजिल सबको अपना
जीवन का सपना है सबका
खोना - पाना मिलना - बिछड़ना
जीवन का है ताना - बाना
राहें संकरी कठिन मोड़ है
चलना संभल - संभल कर पड़ता
गहरी खाई मोड़-मोड़ पर
सब्र टूटने का मम हर दम
सुनी सड़के खौफ जदा सब
मौन तोडती पेड़ की आहट
रात घनी है अंधकार मय
धुध की चादर बनकर कोहरा
फैला नभ-तल दोनों पर।
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