पूरब से पश्चिम की ओर
जीवन से वैभव की ओर
प्रेम से विरह की ओर
अपनत्व से अलगाव की ओर
शान्ति से क्रान्ति की ओर
चाहत से वैमनस्य की ओर
दुःख से सुख की ओर
बचपन से बुढ़ापा की ओर
जीवन से मृत्यु की ओर
आत्मा से परमात्मा की ओर
अनवरत चलने वाली यह यात्रा
न तो रूकती है और न थकती है।
सच है -
जवाब देंहटाएंचलना ही जिंदगी है चलती ही जा रही है
thanks mam
जवाब देंहटाएं