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पहाड़

हमको बुलाये ए हरियाली  ए पहाड़ के आँचल  हमको छूकर जाये, बार-बार ये बादल  कभी दूर तो कभी पास ए  करते रहे ठिठोली  भोर - सांझ ये आते जाते  होठों...

मंगलवार, 19 जनवरी 2021

यात्रा

ज्ञान से विज्ञानं की ओर
पूरब से पश्चिम की ओर
जीवन से वैभव की ओर 
प्रेम से विरह की ओर 
अपनत्व से अलगाव की ओर
 शान्ति से क्रान्ति की ओर 
चाहत से वैमनस्य की ओर 
दुःख से सुख की ओर 
बचपन से बुढ़ापा की ओर 
जीवन से मृत्यु की ओर 
आत्मा से परमात्मा की ओर 
अनवरत चलने वाली यह यात्रा 
न तो रूकती है और न थकती है।   

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