तुम देवलोकों में विचरण करो
सब छोड़ तुम मोह माया का बंधन
जगत से पड़े लोक में जब चली
अश्रुधारा नयन से बहा के चली
श्रधा सुमन प्रेम अर्पण करूं
तुम्हे मुक्ति मिले मुक्त संसार हो
तुम जहाँ भी रहो प्यार ही प्यार हो
सारी खुशियाँ मिले अब नए वेश में
रह गए शेष सब आज सन्देश में
श्रधा सुमन प्रेम अर्पण करूं
याद मिठे भी हैं याद कड़वे भी हैं
भिगते हैं नयन याद जब भी करूँ
श्रधा सुमन प्रेम अर्पण करूं
जीवन की बहती धारा से
तुम राह मोड़ कर निकली हो
तुम अपनी राह बना लेना
श्रधा सुमन प्रेम अर्पण करूं
तुम मुक्त गगन में छा जाना
तुम तारों के देश में
टीम-टीम तारों सा करना.
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