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शुक्रवार, 1 अक्तूबर 2021

वतन

 है तुम्हारे हवाले वतन साथियों 

कर गया कोई हमें नामजद साथियों 

सांस् अटकी यहां प्रेम से साथियों 

कर हवाले तुम्हारे  वतन साथियों 

वक़्त मुश्किल कटा हाथ सबका छुटा 

हो गए अजनबी हम तो अब साथियों 

कर चले हम फिदा जानतन साथियों 

अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों 

वतन की शान बनाए रखना 

मिटना पड़े तो मिटों साथियों 

देश झुकने न देना कभी साथियों 

देश मिटने न देना कभी साथियों 

खून से सींच कर जो आजादी मिली 

मान  उसका हमेशा करों साथियों 

अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों 

कर चले हम फिदा जानतन साथियों.


4 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन  में" आज शनिवार 02 अक्टूबर 2021 शाम 3.00 बजे साझा की गई है....  "सांध्य दैनिक मुखरित मौन  में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. 2 अक्टूबर के अवसर पर सार्थक प्रस्तुति के लिए आपको बहुत-बहुत शुभकामनायें।

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