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सपने

आँखों में सपने थे  ढेरो अरमान थे दिल में  कुछ अलग करने की  हमने भी ठानी थी  सपने बड़े बड़े थे  पर साधन बहुत सीमित थे  मंज़िल आँखों के सामने थी ...

रविवार, 12 फ़रवरी 2017

सैनिक

हे देश के वीर सपूतो
करते हैं नमन तुम्हे हम
देख के तेरे मातृभाव को
अडिग अटल और सत्य काम को
शौर्य पराक्रम शूरवीर को
करते हैं सदा प्रणाम!

हे देश के वीर सपूतो
सीमा की रक्षा करना
पहला कर्तव्य तुम्हारा
मातृभूमि को माँ से पहले
रखकर तुम चलते हो
सर्दी-गर्मी, दिन और रात
कभी नहीं थकते हो!

हे देश के वीर सपूतो
करते हैं नमन तुम्हे हम
सियाचीन की चोटी पर भी
तुम यु ही अटल रहते हो
तूफानों से लड़कर भी
रत्ती भर जोश ना कम होता!
हे देश के वीर सपूतो
करते हैं नमन तुम्हे हम!

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