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रविवार, 5 फ़रवरी 2017

सुबह

सुबह सवेरे जब उठ बैठे
पूरे दिन का दर्पण बनकर
सूर्य देवता दर्शन देते
हंसी ख़ुशी दिन कि शुरुआत
करने का पैगाम हैं देते
मधुर-मधुर मुस्कान से उनके
रोम-रोम पुलकित हो उठता
पर हर दिन कि दिनचर्या में
माँ की डांट ज़रूरी
कितनी जल्दी उठ जाओ पर
फिर भी माँ हैं कहती
रोज़ लेट तुम उठते हो
मेरी कभी न सुनते हो
सूर्य देवता तुम आने में
थोड़ी देर तो कर दो
माँ कि विनती तुम सुनते हो
मेरी भी तो सुन लो
हम बच्चे हैं भोले-भाले
सीधे सच्चे मन के अच्छे
पर हम तो बस आपकी ख़ातिर
रोज़ डांट है खाते
हर दिन तो तुम वक्त पे आना
पर सन्डे को लेट हो जाना
हम इतना बस चाहे
पर माँ के डर से हम बच्चे

कभी बोल न पाते!

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