मेरी कविता, मेरी अभिव्यक्ति
हे प्रियतम तुम रूठी क्यों है कठिन बहुत पीड़ा सहना इस कठिन घड़ी से जो गुज़रा निःशब्द अश्रु धारा बनकर मन की पीड़ा बह निकली तब है शब्द कहाँ कु...
देखो बसंत आया है
सबके मन को भाया है
चारो ओर रंग-बिरंगे फूल खिले है
मौसम भी सुहाना है
मन मुस्कुरा रहा है
तन झूमने को करता
रंग-बिरंगे गुलाल लेकर
बच्चे इधर-उधर है डोले
कभी किसी के सर पर डाले
तो कभी किसी को बाँहों में भर ले
आया बसंत आया
सबके मन को भाया।
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