आज के इस ज़माने में
हर आदमी का
अपना एक मकान होना चाहिए
मुक़ाम मिले ना मिले
मकान मिलना चाहिए
ज़िन्दगी दर बदर की ठोकरों से
गुलज़ार है
दिन में ख़ामोशी तो
रात में आँसुओ की दूकान है
हर इंसान के दिल में
चल रहा आज तूफ़ान है
अकेली ज़िन्दगी कटती नहीं
दिल के कोने में बस्ता एक शमशान है
मकान से ही इंसान की पहचान है
वर्ना तो हर आदमी यहाँ
एक किरायदार है।
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" शनिवार 20 जनवरी 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
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जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !!!
हटाएंबहुत खूब 👌
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !!!
हटाएंबहुत सुंदर सटीक 👌👌
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !!!
हटाएंबहुत सुंदर सृजन
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !!!
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