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सपने

आँखों में सपने थे  ढेरो अरमान थे दिल में  कुछ अलग करने की  हमने भी ठानी थी  सपने बड़े बड़े थे  पर साधन बहुत सीमित थे  मंज़िल आँखों के सामने थी ...

शुक्रवार, 19 जनवरी 2024

मकान

आज के इस ज़माने में 

हर आदमी का 

अपना एक मकान होना चाहिए 

मुक़ाम मिले ना मिले 

मकान मिलना चाहिए 

ज़िन्दगी दर बदर की ठोकरों से 

गुलज़ार है 

दिन में ख़ामोशी तो 

रात में आँसुओ की दूकान है 

हर इंसान के दिल में 

चल रहा आज तूफ़ान है 

अकेली ज़िन्दगी कटती नहीं 

दिल के कोने में बस्ता एक शमशान है 

मकान से ही इंसान की पहचान है

वर्ना तो हर आदमी यहाँ 

एक किरायदार है। 

12 टिप्‍पणियां:

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