आज का बच्चा, थोड़ा सा है सच्चा
पर है फिर भी मन का सच्चा-सच्चा
करता है वह सब कुछ अच्छा-अच्छा
रहता है हरदम वह खोया-खोया
अपना वक्त करता रहता है जाया
अपने मम्मी-पापा के आँखों का है वह तारा
दादा-दादी के प्यार से है दूर-दूर
चाचा-चाची, बुआ-फूफा के रिश्ते से है अनजान
इसीलिए वो घर में लाता है तूफ़ान
अपनी हर चाहत को वह देता है मुकाम
अपना गुस्सा और प्यार दोनों माँ पर ही देता है वार।
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" रविवार 17 दिसम्बर 2023 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" रविवार 17 दिसम्बर 2023 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंसही बात कही आपनें । सुंदर सृजन !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
हटाएंबहुत सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
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