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सपने

आँखों में सपने थे  ढेरो अरमान थे दिल में  कुछ अलग करने की  हमने भी ठानी थी  सपने बड़े बड़े थे  पर साधन बहुत सीमित थे  मंज़िल आँखों के सामने थी ...

रविवार, 22 सितंबर 2019

मातृभूमि

कण-कण में भारत बसता हैं
हर मन में भारत बसता है
भारत माता की शान यही
हर दिल में भारत बसता है

कण-कण में भारत बसता हैं
है भारत की पहचान यही
हर घर में भारत बसता है
है हरित-क्रांति का देश मेरा
पग-पग में खुशियाँ मिलती है

कण-कण में भारत बसता हैं
हैं नोक-झोक, है हँसी-ठिठोली
जब देश की बात है आती
हम हो जाते सब एक

कण-कण में भारत बसता हैं
सर मेरा झुके नहीं
हाथ पहले कभी उठे नहीं
पर हमको आँख दिखने वाले
सलामत नहीं बच पाओगे
पलट के जाने के लिए.

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