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शनिवार, 21 मार्च 2020

छोटी सी ज़िन्दगी

छोटी सी है ज़िन्दगी
पल दो पल है ख़ास
मीठी-मीठी यादों में बस जाता संसार
गिले-शिकवे कडवी यादें
ज़हर घोलती है जीवन में

छोटी सी है ज़िन्दगी
प्रेम भाव सब टूट रहा है
पल-पल सब कुछ छुट रहा है
जीवन जग में घुट रहा है
मानव मन कुछ टूट रहा है

छोटी सी है ज़िन्दगी
राग-द्वेष में गुत्थम-गुत्था
आम भावना लुटता पिटता 
प्रेम भावना पीछे छुटा 

छोटी सी है ज़िन्दगी
अहम् प्रेम पर भारी पड़ता 
दुर्गति सच की आम हुई है 
प्रेम आज बदनाम हुई है 
चालाकी सिर ताज सजा है 
धूर्त प्रकांड विद्वान बने है 

छोटी सी है ज़िन्दगी
आज रूपया सिर चढ़ बोले 
लक्ष्मी भी आवाक खड़ी है 
कैसा ये संसार बना है 

छोटी सी है ज़िन्दगी
क्रूर भावना, झूठ बोलना 
घर-घर में ये काम हुआ है 
अपना-अपना बस सब अपना 
बाकी बचा न कोई सपना। 

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