गमो के लाख सागर हो , मगर मैं खो नहीं सकता
है दिल में आरजू जितनी , सभी जीना जरूरी है
सभी जख्मों को उन , मधुर सपनो से सींचेंगे
मेरी आँखों में आंसू है, मगर मैं रो नहीं सकता
हँसी लोगों को आती है , हमारे मुश्किलों पर
कहाँ उनको पता हमने , सबक इनसे ही सीखा है
कभी हम भी अनाड़ी थे , मगर अब तो खिलाड़ी है
मेरी आँखों में आंसू है, मगर मैं रो नहीं सकता
जुबां खामोश है पर दिल में , तूफानों सी बारिश है
आंसू और गम है साथ -साथ , राहों में कांटें है हजार
पर मंजिल को पाने की , है मुझमे हिम्मत अपार
मेरी आँखों में आंसू है, मगर मैं रो नहीं सकता
जिया तूफ़ान में हरदम , अभी यूँ मर नहीं सकता
चलना हमारा काम है , मैं रूक नहीं सकता
मेरी आँखों में आंसू है, मगर मैं रो नहीं सकता।
कितने ही मुकाम हासिल करने है।
जवाब देंहटाएंयूँ थक कर रोने में क्या फ़ायदा।
जोरदार।
thanks
हटाएंबहुत अच्छी रचना । हृदयस्पर्शी !
जवाब देंहटाएंजीतेन्द्र जी आपका बहूत-बहूत आभार
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