हो जायेगा सबकुछ मुमकिन
बांध लो हाथों से हाथ
जोड़ लो मनके तारो से तार
बंजर जमीन से भी फल निकलेगा
झोंक दो अपनी ताकत
मरुस्थल से भी जल निकलेगा
कोशिशें जारी रख कुछ कर गुजरने की
जो है आज थमा - थमा सा चल निकलेगा
रास्तों पर जम गई है धूल
बारिशों से ये बह निकलेगा
रिश्तों में आज जो आई है दरार
छंटते ही गम के बादल
फिर से खुशियों की गाड़ी चल निकलेगी
गावं से शहर की दूरिओं को
विकास से पाट दो
किसानो के इस देश में
किसानी को सम्मान दो
फिर तो विकास की धारा
यहीं से बह निकलेगी
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