यह ब्लॉग खोजें

Translate

विशिष्ट पोस्ट

सपने

आँखों में सपने थे  ढेरो अरमान थे दिल में  कुछ अलग करने की  हमने भी ठानी थी  सपने बड़े बड़े थे  पर साधन बहुत सीमित थे  मंज़िल आँखों के सामने थी ...

सोमवार, 29 जून 2020

आम के मंजर

लगे पेड़ पर आम के मंजर 
पेड़ अभी से झूम रहे है 
आँखों में खुशिओं की आहट 
रहरहकर यों घूम रहे है
 छोटी - छोटी आम्बी को
कैसे चुनकर लाएंगे हम 
खट्टी-मीठी पकवानों से 
अपनी मेज सजायेंगे 

भरकर टोकड़ी आम की 
घर लेकर हम आएंगे 
मीठे - मीठे पके आम को 
चुनचुनकर हम खाएंगे 

कोयल की आवाज  गूंजती 
कानो में मिश्री रस घोले 
सुबह सबेरे सब उठ बैठे 
बच्चे - बूढ़े  और जवान 
आम - आम ये मीठे आम।   

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें