पेड़ अभी से झूम रहे है
आँखों में खुशिओं की आहट
रहरहकर यों घूम रहे है
छोटी - छोटी आम्बी को
कैसे चुनकर लाएंगे हम
खट्टी-मीठी पकवानों से
अपनी मेज सजायेंगे
भरकर टोकड़ी आम की
घर लेकर हम आएंगे
मीठे - मीठे पके आम को
चुनचुनकर हम खाएंगे
कोयल की आवाज गूंजती
कानो में मिश्री रस घोले
सुबह सबेरे सब उठ बैठे
बच्चे - बूढ़े और जवान
आम - आम ये मीठे आम।
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