तू मेरा जीवन मै तेरी नियति
तुम गंगा की लहरे मै हूँ धारा
तुम बहना कलकल मैं उसकी शीतलता
तुम जीवन के वृक्ष मै तेरी छाया
तुम पत्तों की हरियाली
मैं फूलो की कोमलता
तुम हो जलता दीपक
और मैं हूँ उसकी बाती
है प्रेम हमारा हरदम
हर दिन और रात की भांति
जीवन भर साथ चलेंगे
हम दोनों मिलकर साथी।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें