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प्रियतम

हे प्रियतम तुम रूठी क्यों  है कठिन बहुत पीड़ा सहना  इस कठिन घड़ी से जो गुज़रा  निःशब्द अश्रु धारा बनकर  मन की पीड़ा बह निकली तब  है शब्द कहाँ कु...

गुरुवार, 18 जून 2020

साथी

 
तू मेरा प्रियतम मैं तेरी प्रेयसि 
तू मेरा जीवन मै तेरी नियति
तुम गंगा की लहरे मै हूँ धारा 
तुम बहना कलकल मैं उसकी शीतलता 
तुम जीवन के वृक्ष मै तेरी छाया 
तुम पत्तों की हरियाली  
मैं फूलो की कोमलता 
तुम हो जलता दीपक 
और मैं हूँ उसकी बाती
है प्रेम हमारा हरदम
हर दिन और रात की भांति 
जीवन भर साथ चलेंगे 
हम दोनों मिलकर साथी।

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