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पहाड़

हमको बुलाये ए हरियाली  ए पहाड़ के आँचल  हमको छूकर जाये, बार-बार ये बादल  कभी दूर तो कभी पास ए  करते रहे ठिठोली  भोर - सांझ ये आते जाते  होठों...

गुरुवार, 26 दिसंबर 2019

चाँद के तले

शाम जब ढले, चाँद के तले
एक जहां बसाएंगे
मिलके हम और तुम
शीतलता चाँद सी
हो हमारे बीच
सुंदरता चाँद सा
तुमको हैं मिला
तुमसे मिलके चेहरे मेरे
खुशियों से खिले।

शाम जब ढले, चाँद के तले
एक जहां बसाएंगे
मिलके हम और तुम
खो गयी ख़ुशी जहां से
खो गया चैनो अमन
हर तरफ हैं भागम-भाग
छा गयी माहौल में
बेचैनियाँ है हर तरफ
फिर भी मेरा वादा तुमसे
लाएंगे हम ढूंढ कर
खुशियों के पल चून कर।

शाम जब ढले, चाँद के तले
एक जहां बसाएंगे
मिलके हम और तुम
चाहें कितनी ज़िन्दगी में
हो अंबार मुश्किलों का
मुश्किलों के बीच भी
खुशियां तलाश लेंगे हम
धुंध चाहे कितनी हो
राहे तलाश लेंगे हम
मिलकर फतह
हर मुश्किलों पर
दर्ज हम कराएंगे
प्रेम और खुशियों का मंदिर
घर को हम बनाएंगे।

शाम जब ढले, चाँद के तले
एक जहां बसाएंगे
मिलके हम और तुम।