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माँ

माँ छोड़ चली उस लोक चली  जिससे नहीं लौटता कोई कभी  हमसे अपना मुँह मोड़ चली  ममता का दामन छोड़ चली  कुछ याद मेरे दिल में दे कर  कुछ दर्द में हमक...

शनिवार, 1 फ़रवरी 2025

माँ

माँ छोड़ चली उस लोक चली 

जिससे नहीं लौटता कोई कभी 

हमसे अपना मुँह मोड़ चली 

ममता का दामन छोड़ चली 

कुछ याद मेरे दिल में दे कर 

कुछ दर्द में हमको छोड़ चली 

धुंधली तस्वीर बनाती हूँ 

मन ही मन में खो जाती हूँ 

खुद से खुद को समझाती हूँ 

जो आता है वो जाता है 

यह जीवन क्रम सिखलाता है 

अब दृश्य सभी सपने बनकर 

आँखों के आगे मंडराते 

माँ का हँसता चेहरा ऐसे 

जैसे कुछ कहना चाह रही 

माँ छोड़ चली उस लोक चली 

जिससे नहीं लौटता कोई कभी।