यह ब्लॉग खोजें

Translate

विशिष्ट पोस्ट

पहाड़

हमको बुलाये ए हरियाली  ए पहाड़ के आँचल  हमको छूकर जाये, बार-बार ये बादल  कभी दूर तो कभी पास ए  करते रहे ठिठोली  भोर - सांझ ये आते जाते  होठों...

गुरुवार, 29 अगस्त 2019

रिश्ते की डोर

रिश्ते की डोर विश्वास से थमती है 
प्रेम से महकती है
खुशियों से चमकती है 
रिश्तों से चलती है 
जीवन की बगीया 

रिश्ते की डोर विश्वास से थमती है 
खुशियाँ हो घर आँगन में 
उसके खातिर घर की लक्ष्मी 
दीपक सी जलती है 
पवन की सुखद एहसास 
हर साँसों में भारती है 
घर का हर कोना खुशियों से 
महकाने के खातिर हर बला से 
पहाड़ की तरह लडती है 

रिश्ते की डोर विश्वास से थमती है 
शक और विश्वासघात ये दोनों ऐसे कीड़े है 
जो रिश्तो की डोर को कमज़ोर ही नही 
तोड़ भी देते है 
उसके अंदर की खुशबु सोख लेते है 
बड़ी- बड़ी खुशियों को पल में निगल जाते है 

जीवन की डोर थाम तो ली है 
पर भरोसा रखने और निभाने 
का सच्चा प्रयत्न तो करो 
रिश्ता बाज़ार में बिकता नही 
इसकी तोल-मोल न करो 
टूट कर रह जाओगे 
एक दिन ऐसा आएगा 
जब रिश्तो के लिए 
तरस जाओगे.