यह ब्लॉग खोजें

Translate

विशिष्ट पोस्ट

पहाड़

हमको बुलाये ए हरियाली  ए पहाड़ के आँचल  हमको छूकर जाये, बार-बार ये बादल  कभी दूर तो कभी पास ए  करते रहे ठिठोली  भोर - सांझ ये आते जाते  होठों...

शुक्रवार, 1 अक्टूबर 2021

वतन

 है तुम्हारे हवाले वतन साथियों 

कर गया कोई हमें नामजद साथियों 

सांस् अटकी यहां प्रेम से साथियों 

कर हवाले तुम्हारे  वतन साथियों 

वक़्त मुश्किल कटा हाथ सबका छुटा 

हो गए अजनबी हम तो अब साथियों 

कर चले हम फिदा जानतन साथियों 

अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों 

वतन की शान बनाए रखना 

मिटना पड़े तो मिटों साथियों 

देश झुकने न देना कभी साथियों 

देश मिटने न देना कभी साथियों 

खून से सींच कर जो आजादी मिली 

मान  उसका हमेशा करों साथियों 

अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों 

कर चले हम फिदा जानतन साथियों.