यह ब्लॉग खोजें

Translate

विशिष्ट पोस्ट

तुम से तुम तक

इस ज़िन्दगी की गीत में  नीत नए संगीत में  हर घड़ी हर लम्हे में  मेरी साँसों में मेरी धड़कन में  हर जगह तुम साथ हो  बीते 27 वर्षों में  आदत तुम्...

सोमवार, 21 फ़रवरी 2022

साँझ ढले

जब साँझ के प्रहार में कुछ याद आ रहा था
वो याद धुंधला सा मुझको बता रहा था
था घर कोई हमारा मुझको दिखा रहा था 
अपनों कि याद जिसमे धुंधली सी हो गई थी 
तन्हा खड़ी अकेली मैं मौन हो चली थी 
किससे लडूं मैं किसको अनदेखा कर चलूँ 
कहने को सब है अपने  बेगानों की झलक में 
उलझन के बीच मेरी ख़ामोशी कह रही है 
थे तब भी तुम अकेले हो आज भी अकेले 
है फर्क सिर्फ इतना तब भीड़ में खड़े थे 
अब तन्हा हो चले हो .