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प्रियतम

हे प्रियतम तुम रूठी क्यों  है कठिन बहुत पीड़ा सहना  इस कठिन घड़ी से जो गुज़रा  निःशब्द अश्रु धारा बनकर  मन की पीड़ा बह निकली तब  है शब्द कहाँ कु...

बुधवार, 9 मार्च 2022

पंख लगा दो

मुझको कोई पंख लगा दो
मैं उड़  जाऊ दूर गगन में 
घूम फिर खुशियों की झोली 
मैं भरकर सब साथ ले आऊ 

देखो चंचल हवा सलोना 
चिड़िया कलरव करती प्यारी 
दूर गगन में सूरज दादा 
मंद-मंद मुस्काते रहते 

देखो पार्क में झूलते बच्चे 
दादा-दादी घूम रहे हैं 
माताएं बैठी मुस्काती 
सपनों को  है पंख लगाती 

अलग अलग टोली में देखो 
अलग अलग चेहरों के रंग 
कोई झूम रहा खुशियों में 
कोई बैठा मौन साध कर