मैं उड़ जाऊ दूर गगन में
घूम फिर खुशियों की झोली
मैं भरकर सब साथ ले आऊ
देखो चंचल हवा सलोना
चिड़िया कलरव करती प्यारी
दूर गगन में सूरज दादा
मंद-मंद मुस्काते रहते
देखो पार्क में झूलते बच्चे
दादा-दादी घूम रहे हैं
माताएं बैठी मुस्काती
सपनों को है पंख लगाती
अलग अलग टोली में देखो
अलग अलग चेहरों के रंग
कोई झूम रहा खुशियों में
कोई बैठा मौन साध कर
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 10.03.22 को चर्चा मंच पर चर्चा - 4365 दिया जाएगा| चर्चा मंच पर आपकी उपस्थिति सभी चर्चाकारों की हौसला अफजाई करेगी
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
दिलबाग
आपका हृदय से आभार
हटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 10 मार्च 2022 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
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हौसला अफजाई के लिए बहूत-बहूत धन्यवाद्
हटाएंसुंदर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंसादर
हौसला अफजाई के लिए बहूत-बहूत धन्यवाद्
हटाएंसुंदर,सरल भावाव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंसादर।
मेरा हौसला बढ़ाने के लिए आपका दिल से आभार
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