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पहाड़

हमको बुलाये ए हरियाली  ए पहाड़ के आँचल  हमको छूकर जाये, बार-बार ये बादल  कभी दूर तो कभी पास ए  करते रहे ठिठोली  भोर - सांझ ये आते जाते  होठों...

सोमवार, 13 नवंबर 2023

सफ़रनामा

सब झूठे रिश्ते नाते हैं  

सब दिल रखने की बाते हैं 

कब कौन किसी का होता है  

सब असली रूप छिपाते हैं 

एहसास से खाली लोग यहाँ 

शब्दों के तीर चलाते हैं  

अपनों का विश्वास तोड़  

गैरो पर प्यार लुटाते हैं  

दिल में भरकर तूफ़ान यहाँ 

चेहरे पर हँसी दिखलाते हैं  

सब रहते है अब मौन साध 

अपनों से दुरी बनाते हैं  

थे खुशियों के रंग जहाँ

ग़म आज वहाँ इतराती हैं 

सब झूठे रिश्ते नाते हैं  

सब दिल रखने की बाते हैं। 

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