सब झूठे रिश्ते नाते हैं
सब दिल रखने की बाते हैं
कब कौन किसी का होता हैं
सब असली रूप छिपाते हैं
एहसास से खाली लोग यहाँ
शब्दों के तीर चलाते हैं
अपनों का विश्वास तोड़
गैरो पर प्यार जताते हैं
दिल में भरकर गुब्बार
चेहरे पर हँसी लाते हैं
सब रहते है अब मौन साध
अपनों से दुरी बनाते हैं
ये खुशियों के रंग जहाँ बिखरे
ग़म आज वहाँ इतराती हैं
सब झूठे रिश्ते नाते हैं
सब दिल रखने की बाते हैं।
सुन्दर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
हटाएं