मेरी कविता, मेरी अभिव्यक्ति
हे प्रियतम तुम रूठी क्यों है कठिन बहुत पीड़ा सहना इस कठिन घड़ी से जो गुज़रा निःशब्द अश्रु धारा बनकर मन की पीड़ा बह निकली तब है शब्द कहाँ कु...
तुम प्रेम हो तुम गीत हो
चाहत के तुम तो मीत हो
तुम नित नए संगीत हो
तुम फूल हो तुम हो कली
तुम ही तो खुशबू रंग हो
हर ओर फैली वादियों में
जल की कल-कल धार हो
तुम मेरी शीतल छाँव हो
तुम हो ख़ुशी तुम गीत हो
तुम ही तो मेरे मीत हो।
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" शनिवार 18 नवम्बर 2023 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
सुन्दर रचना |
धन्यवाद!
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" शनिवार 18 नवम्बर 2023 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना |
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
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