हे माँ मैं हूँ भक्त तुम्हारी
मुझ पर तुम ये दया दिखा दो
रोज़ नए उलझन में पड़कर
मन उलझा रहता है
द्वार तुम्हारे आने को माँ
व्याकुल मन रहता है।
कृपा तुम्हारी कब होगी माँ
हंसी-ख़ुशी दर्शन पाने को
माँ मैं दौड़ी आऊंगी
मुझे प्यार से गले लगाकर
माँ तुम प्यार लुटाओगी
हे माँ मेरी अम्बे माता
जग का दुःख हरने वाली
अपने दर पर इस बेटी की
झोली कब भर पाओगी
बाट जोहती माँ मैं तेरी
वर्षो से बैठी हूँ माँ
हे माँ मैं हूँ भक्त तुम्हारी
मुझ पर प्यार लुटाओ माँ
हमको जग ने ठुकराया पर
तुम भी ना ठुकराओ माँ।
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" शनिवार 25 नवम्बर 2023 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" शनिवार 25 नवम्बर 2023 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
हटाएंसुंदर रचना
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
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