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गुरुवार, 23 नवंबर 2023

अम्बे माँ

 हे माँ मैं हूँ भक्त तुम्हारी 

मुझ पर तुम ये दया दिखा दो 

रोज़ नए उलझन में पड़कर 

मन उलझा रहता है

द्वार तुम्हारे आने को माँ 

व्याकुल मन रहता है। 


कृपा तुम्हारी कब होगी माँ 

हंसी-ख़ुशी दर्शन पाने को 

माँ मैं दौड़ी आऊंगी 

मुझे प्यार से गले लगाकर 

माँ तुम प्यार लुटाओगी 


हे माँ मेरी अम्बे माता 

जग का दुःख हरने वाली 

अपने दर पर इस बेटी की 

झोली कब भर पाओगी 

बाट जोहती माँ मैं तेरी 

वर्षो से बैठी हूँ माँ 


हे माँ मैं हूँ भक्त तुम्हारी 

मुझ पर प्यार लुटाओ माँ 

हमको जग ने ठुकराया पर 

तुम भी ना ठुकराओ माँ। 

6 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" शनिवार 25 नवम्बर 2023 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" शनिवार 25 नवम्बर 2023 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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