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पापा

पापा मेरे सपनों का वो प्रतिबिम्ब है  जो हमारे हर सपने को पूरा करते है  हमारी हर जिज्ञासा को पूरा करते है  हमारे लड़खड़ाते कदम को हाथों से संभा...

रविवार, 14 जनवरी 2018

वो

वो न जाने कब बन गई थी
मेरी ज़िन्दगी का अटूट हिस्सा
साँसों में फूलों की महक बनकर बस गई थी
रातों को सपनो में
दिल को सूरज की गर्मी में
उसका हर रूप अपने आप में अनोखा है
अपने सपने को चंद लम्हों में हमने समेटा है

फूलों सी कोमलता, शहद सी मिठास
भौड़ों सी व्याकुलता
मिट्टी सी खुसबू
हवा जैसी चंचलता
इत्र के जैसी सुगंध
हौसला पहाड़ों सा लेकर
रात्रि की तरह गहन अंधकार में भी
जीवन की राह ढूंढने ने की हिम्मत
चेहरे पे पूर्णमासी के चाँद सी फैली मुस्कुराहट

उसके एहसास ने मुझमें
हर पल असीमित उर्जा का संचार कर दिया है
मुझ जैसे साधारण प्राणी को
एक मुकम्मल इंसान बना दिया.

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