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प्रियतम

हे प्रियतम तुम रूठी क्यों  है कठिन बहुत पीड़ा सहना  इस कठिन घड़ी से जो गुज़रा  निःशब्द अश्रु धारा बनकर  मन की पीड़ा बह निकली तब  है शब्द कहाँ कु...

गुरुवार, 26 जुलाई 2018

अन्धविश्वास

दाता के नाम पर
प्रेम के काम पर 
ख़ुशी के इज़हार पर 
सब कुछ लुटा दे 
ऐसे हम भारतवासी हैं 

जीवन तन्हाई में 
अपनों की जुदाई में 
पडोसी से लड़ाई में 
अपना सब कुछ लुटा दे 
ऐसे हम भारतवासी है

एक पत्थर को भी
गलती से भगवान बता दिया
बस क्या है
उसकी पूजा में
लम्बी-लम्बी लाइन लग जाती है

हर कोई नया किस्सा गढ़ लेता है
ज़िन्दगी तन्हा है यहाँ
पर भगवान् के नाम पर
भीड़ का आलम है
हम बार-बार लुटते है
पर संभलते क्यों नहीं.

मंगलवार, 24 जुलाई 2018

जन-जन तक पहुचाएंगे

जन-जन तक पहुचाएंगे
प्रगति की बयार बहाएंगे
हर घर में उजाला होगा
रोज़गार हर हाथ में होगा

कदम-कदम पे रौनक होगी
हर चेहरे पर खुशियाँ होंगी
जीवन सरल-सुनहरा होगा
खुशियों के बरसात से जैसे
घर-आँगन मुस्कुराएगा

फिर से अपना वही पुराना
भारत वर्ष ले आएँगे
राम-राज्य सा वैभव फिर से
हम लौटा ले आएँगे

गौरवमयी इतिहास हमारा
आज को भी सुन्दरतम सदी का
ताज दिला कर जाएंगे

था भारत महान हमारा
सदा महान कहलाएंगे
इस धरती का पूत्र हमेशा
विश्व गुरु कह लाएगा.