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सपने

आँखों में सपने थे  ढेरो अरमान थे दिल में  कुछ अलग करने की  हमने भी ठानी थी  सपने बड़े बड़े थे  पर साधन बहुत सीमित थे  मंज़िल आँखों के सामने थी ...

मंगलवार, 24 जुलाई 2018

जन-जन तक पहुचाएंगे

जन-जन तक पहुचाएंगे
प्रगति की बयार बहाएंगे
हर घर में उजाला होगा
रोज़गार हर हाथ में होगा

कदम-कदम पे रौनक होगी
हर चेहरे पर खुशियाँ होंगी
जीवन सरल-सुनहरा होगा
खुशियों के बरसात से जैसे
घर-आँगन मुस्कुराएगा

फिर से अपना वही पुराना
भारत वर्ष ले आएँगे
राम-राज्य सा वैभव फिर से
हम लौटा ले आएँगे

गौरवमयी इतिहास हमारा
आज को भी सुन्दरतम सदी का
ताज दिला कर जाएंगे

था भारत महान हमारा
सदा महान कहलाएंगे
इस धरती का पूत्र हमेशा
विश्व गुरु कह लाएगा.

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