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पापा

पापा मेरे सपनों का वो प्रतिबिम्ब है  जो हमारे हर सपने को पूरा करते है  हमारी हर जिज्ञासा को पूरा करते है  हमारे लड़खड़ाते कदम को हाथों से संभा...

गुरुवार, 26 जुलाई 2018

अन्धविश्वास

दाता के नाम पर
प्रेम के काम पर 
ख़ुशी के इज़हार पर 
सब कुछ लुटा दे 
ऐसे हम भारतवासी हैं 

जीवन तन्हाई में 
अपनों की जुदाई में 
पडोसी से लड़ाई में 
अपना सब कुछ लुटा दे 
ऐसे हम भारतवासी है

एक पत्थर को भी
गलती से भगवान बता दिया
बस क्या है
उसकी पूजा में
लम्बी-लम्बी लाइन लग जाती है

हर कोई नया किस्सा गढ़ लेता है
ज़िन्दगी तन्हा है यहाँ
पर भगवान् के नाम पर
भीड़ का आलम है
हम बार-बार लुटते है
पर संभलते क्यों नहीं.

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