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मेरे ख्वाब

रात कली कोई ख्वाब में आई  और गले का हार हुई  हँसता हुआ था उसका चेहरा  आँखों में कोई रंग था गहरा  होठ गुलाबी, आँख शराबी  चाल में मादकता झलकी ...

शनिवार, 29 जून 2019

पंखुरियाँ

गुलाब की पंखुरियों पर 
फैली ओस की कुछ बुँदे थी 
उनको वहम था 
हमसे कोमल कोई नहीं 
हम तो सुन्दर है 
खुशबूदार है 
प्रकृति का श्रृंगार है 
कोई छुए तो 
मैं चुभ भी जाती हूँ 
फिर भी लोग हम पे मरते है 
हमारे संग ही 
अपने प्रेम का इज़हार करते है 
हमारा रंग जब लाल हो तो 
प्यार बन जाता है 
वही जब पीला हो तो 
दोस्ती का शिखर बन जाता है 
काला हो तो 
उदासी का कारण बन जाता है 
और जब सफ़ेद हो तो 
हम शान्ति दूत बन जाते है 
हमसे सुन्दर कौन है 
हमसे कोमल कौन है 
पर गुलाब की पंखुरियाँ 
तुझे कहाँ पता है 
ये बेरहम दुनिया 
और इसके लोग 
तेरा क्या हश्र करेंगे 
जीने भी नहीं देंगे 
तुम्हे मरने भी नहीं देंगे 
अपने हाथो में ले कर 
तुम्हे पूरी तरह खिलने भी नहीं देंगे 
इनके कारनामों से 
मौसम इतना बदला है कि 
ये तुम्हे जीने भी नहीं देंगे 
और मरने भी नहीं देंगे 
अपने आप पर इतना इतराओ मत 
ये बेरहम दुनिया है 
ये किसी का भला नहीं चाहते 
ये तो बस स्वार्थ में दुबे है 
अपने लिए जीते है। 

सोमवार, 10 जून 2019

आसमां

मैं पंछी हूँ, आकाश नहीं 
जीवन रण में अनजान नहीं 
मेरी सोच नयी, ये बात अलग 
हैं अपनों की पहचान मुझे 
मैं बोलती कम हूँ पर नादान नहीं 
मैं जानती हूँ, सब जानते है मुझे 
दूर रहकर भी पहचानते है मुझे 
पर गिला सबको है मुझसे 
हरा पाएंगे कब इसको 
मेरी हार से क्यों खुश होते हो तुम लोग 
अपनी जीत का जश्न मानाना सीखो 
हमने तो जंग में भी जश्न मनाये हैं 
बार-बार गिरकर भी संभल जाते है 
राह रोककर खड़े है अपने ही 
कोई बात नहीं अर्जुन बनकर ही निकल जाएंगे 
हम नहीं जानना चाहते उनको 
जो मेरे राह में खड़े है 
वो अपने हो या अनजाने 
किसी की परवाह नहीं करते हम 
खतरा सामने है, डटकर लड़ेंगे 
हक़ अपना हम लेकर रहेंगे 
आसमान में उन मुक्त उड़कर रहेंगे 
जीवन जीने के लिए मिली हैं 
अभावो में ही सही 
इसे जी भर कर जीएंगे 
गम को मुस्करा कर पिलेते है हम 
खुशियों के स्वागत में दामन 
फैला देते है हम 
अपनों से ना सही गैरो से ही 
प्रेम पा लेते हैं हम 
ज़िन्दगी तन्हाइयों में क्यों गुज़ारे 
गैरों के बीच ही अपना घर 
बना लेते है हम।