यह ब्लॉग खोजें

Translate

विशिष्ट पोस्ट

प्रियतम

हे प्रियतम तुम रूठी क्यों  है कठिन बहुत पीड़ा सहना  इस कठिन घड़ी से जो गुज़रा  निःशब्द अश्रु धारा बनकर  मन की पीड़ा बह निकली तब  है शब्द कहाँ कु...

सोमवार, 6 जनवरी 2025

बदलाव

जीवन के हर मोड़ पे देखो बदलाव है आता 

कभी ख़ुशी तो कभी गमो का दे उपहार वो जाता 

कभी धुप तो कभी छाँव है 

कभी बसंत का साया 

राहों में कंकड़ बिखरे है 

सरपट दौड़ रही है गाड़ी 

ठोकर खाने का खतरा है 

गिरकर उठना उठकर गिरना 

है जीवन की माया 

दुःख - सुख की यादे ही तो है 

जीवन की एक माला 

वक्त बदलता है हम सबको 

कभी वक्त को बदलो 

फिर देखो जीवन में कितना 

सुखद - सुकून है आता। 

2 टिप्‍पणियां: