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बुधवार, 2 अगस्त 2017

दिल से दिल तक

मैंने तुझको दिलदार चुना
तूने दिल का ए दर्द दिया
तुझको दिल की मलिका माना
तुने मुझको दिया गैर बना
मैं पड़ा रहता किसी कोने में
दिल का एक हिस्सा दे देते
चाहे तेरी नफरत ही सही
हिस्सेदार तेरे दिल का होता
मैं खुशनसीब मान लेता खुद को
तेरे संग जीवन की गलियों में
चाहत की रंगरलीयो में
जीवन रंगीन बना लेंगे
तेरे हाँ के संजोग तले
अपनी किस्मत अज़मा लेंगे
रात चांदनी संग-संग तेरे
खुले गगन के आँगन में
वो रंगरलीया तेरी गलियाँ
मदहोश मगन है जीवन में
जीवन सदियों में बाट दिया
खुशियाँ पल भर में बीत गई
चाहत की आहट सुनकर
पलके रातों को भींग गई
वो नींद गई संग छोड़ गई
जीवन की कड़वी सच्चाई
एक सीख बताकर चली गई
खोना पाना सब यही हुआ
अपना रोना सब छुट गया
प्रभू चरणों में जीवन छुटे
अब लगन हमे ऐसी लागी
भक्ति की ज्योत जलाकर के
तुम चली गयी, तुम चली गई
वो राह हमे दिखलाकर के

तुम चली गई, तुम चली गई!!

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